भारत और मालदीव के संबंध जिस तरह से तनावपूर्ण हो रहे हैं उसको लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में कहा भारत मालदीव के साथ अपनी साझेदारी के लिए “प्रतिबद्ध” है।
Army deployment: How will India and Maldives resolve differences? Relations between the two countries are tense!
भारत के साथ मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में असहजता के बीच युगांडा की राजधानी कंपाला में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात हुई। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को अफ्रीकी देश युगांडा की राजधानी कंपाला में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर के साथ मुलाकात की। भारत और मालदीव के बीच भारतीय सैनिकों की वहां तैनाती को लेकर लेकर बीते कई हफ्तों से तनातनी है।
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज ने वहां तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी के लिए डेडलाइन भी दे दी है। उन्होंने भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी को वापस बुलाने के लिए 15 मार्च तक की समयसीमा दी है।
इस बीच गुरुवार को गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के सदस्य देशों के दो दिन के 19वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने युगांडा पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मालदीव के अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। एनएएम का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन आज से शुरू हो रहा है।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर जयशंकर ने एक पोस्ट में लिखा, “आज कंपाला में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर से मुलाकात हुई। भारत-मालदीव संबंधों पर खुलकर चर्चा हुई. इस दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई।”
एक्स पर एक पोस्ट में जमीर ने कहा कि एनएएम शिखर सम्मेलन के दौरान जयशंकर से मिलना खुशी की बात थी। उन्होंने लिखा, “हमने भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी के साथ-साथ मालदीव में चल रही विकास परियोजनाओं को पूरा करने में तेजी लाने और सार्क और एनएएम के भीतर सहयोग पर चल रही उच्च स्तरीय चर्चा पर विचारों का आदान-प्रदान किया।”
सेना की तैनाती पर बढ़ता तनाव
जमीर ने आगे कहा हम अपने सहयोग को और मजबूत करने और विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत और मालदीव के संबंध जिस तरह से तनावपूर्ण हो रहे हैं उसको लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में कहा भारत मालदीव के साथ अपनी साझेदारी के लिए “प्रतिबद्ध” है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि 14 जनवरी को माले में आयोजित “उच्च-स्तरीय कोर समूह” वार्ता का हिस्सा रहे अधिकारियों के बीच चर्चा “जल्द ही” जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि मालदीव का एक प्रतिनिधिमंडल भारत की यात्रा करेगा।
उन्होंने मालदीव में भारत के विमान, हेलीकॉप्टर और सैनिकों की तैनाती पर कहा कि दोनों पक्षों ने व्यावहारिक समाधान खोजने पर चर्चा की है। इसलिए चीजें आगे बढ़ेंगी। जल्द ही कोर समूह की अगली बैठक में मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
भारतीय सैनिकों को क्यों हटाना चाहता है मालदीव
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुईज को चीन का समर्थक माना जाता है और उन्होंने पिछले साल हुए चुनाव में भारत विरोध के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने अपना भारत विरोधी रुख बरकरार रखा है।
मुईज ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय सैनिकों की वापसी का मुद्दा उठाया था और उसको लेकर बयान भी देते आए हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह अपने रुख से पीछे नहीं हटे हैं. मुईज भारतीय सैनिकों की वहां तैनाती को देश की संप्रभुता से जोड़ रहे हैं।
मालदीव में भारतीय सेना की एक छोटी सी टुकड़ी है. कुछ टोही विमानों के साथ यह टुकड़ी हिंद महासागर पर नजर रखती है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नवीनतम सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मालदीव में 88 भारतीय सैन्यकर्मी हैं।
भारत करता आया है मदद
मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में माले की पिछली सरकार के तहत प्रगति देखी गई।
पड़ोसी देश की मदद के लिए भारत हमेशा से ही आगे खड़ा रहा है। चाहे 1988 में ऑपरेशन कैक्टस हो या 2004 में सूनामी या फिर कोविड महामारी के दौरान वहां दवाएं और वैक्सीन पहुंचाना हो।
इस महीने की शुरुआत में सोशल मीडिया पर तब विवाद खड़ा हो गया जब मालदीव के तीन उपमंत्रियों ने लक्षद्वीप के समुद्र तट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक वीडियो पोस्ट करने के बाद उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद वहां की सरकार ने तीन उपमंत्रियों को सस्पेंड कर दिया था।
भारतीय पर्यटक बड़ी संख्या में मालदीव जाते हैं और पर्यटन देश की आय का सबसे बड़ा हिस्सा है। मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के मुताबिक पिछले साल सबसे अधिक भारतीय पर्यटक वहां पहुंचे थे।