बिहार में नदियां बनी तस्करी का सेफ जोन, बनाया अड्डा, उप्र से शराब खरीद नदी में कूद जाते हैं तस्कर

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Rivers in Bihar become a base for smuggling, smugglers buy liquor from Uttar Prade sh and jump into the river

Rivers in Bihar become a base for smuggling, smugglers buy liquor from Uttar Prade sh and jump into the river
Rivers in Bihar become a base for smuggling, smugglers buy liquor from Uttar Prade sh and jump into the river

बिहार का बक्सर जिला उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। गंगा नदी के उस पार यूपी का बलिया जिला तो इस पार बक्सर है। ऐसे में शराब पीने वाले अक्सर बलिया चले जाते हैं।

Rivers in Bihar become a base for smuggling, smugglers buy liquor from Uttar Prade sh and jump into the river

बिहार के गंगा, गंडक, सोन नदियों के तटों पर आपने तरबूज, ललमी, खीरा, ककड़ी और हरी सब्जियों की खेती लहलहाने की चर्चा सुनी होगी लेकिन अब ट्रेंड बदल गया है। अब इन बड़ी नदियों के तटों पर न केवल शराब की भट्टियां सुलग रही हैं, बल्कि शराब के गोदाम भी बनाए जा रहे हैं। बताया जाता है कि बिहार की बड़ी नदियों के चौड़े तटों पर बालू की उपस्थिति अब शराब तस्करों के लिए सेफ जोन बना हुआ है।

वैसे भी जब सड़कों से लेकर पगडंडियों तक शराब के तस्करों को पकड़ने के लिए जब पुलिस ने पहरा बैठा दिया तो तस्करों ने नदियों के रास्ते को ही तस्करी के लिए अपना ठिकाना बना लिया। कहा जाता है कि अब मछुआरे भी इस तस्करी के कामों को अपनाने लगे हैं। हाल की घटनाओं में नावों और नदियों के तटों से शराब की बरामदगी और तस्करों का नहीं पकड़ा जाना इसकी तस्दीक करते हैं।

माना जाता है दियारा का क्षेत्र ऐसे भी दुर्गम इलाका है जहां पुलिस भी जल्दी नहीं जाना चाहती है। ऐसे में कई इलाकों में शराब की भट्ठियां सुलगती हैं और महुआ से शराब बनाई जाती है। बताया जाता है कि शराब बनाने के बाद बालू में गड्ढा खोदकर इसे ड्रम में रख कर छिपा दिया जाता है। कैमूर, बक्सर, रोहतास, गोपालगंज जैसे कई सीमावर्ती जिले हैं जहां तस्कर अब नदियों को अपना ठिकाना बना रहे हैं।

बिहार का बक्सर जिला उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। गंगा नदी के उस पार यूपी का बलिया जिला तो इस पार बक्सर है। ऐसे में शराब पीने वाले अक्सर बलिया चले जाते हैं। बलिया से शराब खरीदकर बक्सर लाने वाले कई शराब तस्करों को पुलिस ने पकड़ा है। ऐसी ही स्थिति गोपालगंज जिले में भी है जहां सड़क मार्ग पर चेक पोस्ट बना दिए गए हैं।

बताया जाता है कि रात में तस्कर यूपी से नाव के जरिए आसानी से शराब लेकर बिहार पहुंच जाते हैं और फिर गंडक नदी के तट पर बालू के अंदर छिपा देते हैं। इसके बाद ऑर्डर मिलने के बाद आसानी से निकालकर उसे आसपास के प्रखंडों में सप्लाई कर देते हैं। ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसकी जानकारी नहीं है। पुलिस को भी इसकी जानकारी होती है और छापेमारी भी होती है लेकिन शराब की तो बरामदगी हो जाती है, लेकिन तस्कर नहीं पकड़े जाते हैं।

बताया जाता है कि तस्कर नदियों में तैरने के एक्सपर्ट होते हैं और पुलिस को आते देख वे पानी में छलांग लगा देते हैं। पुलिस के रिकार्ड भी बताते हैं कि शराब तस्करों की नजर अब नदी मार्ग पर है। चार दिन पहले ही गोपालगंज जिले के दो अलग अलग थाना क्षेत्रों में गंडक नदी से दो नावों से करीब 800 लीटर शराब बरामद की गई थी, लेकिन तस्कर भागने में सफल रहे।

इससे पहले 27 दिसंबर को सारण जिला पुलिस ने गंडक नदी में एक नाव से 6642 लीटर विदेशी शराब बरामद की थी। गोपालगंज में जादोपुर थाना क्षेत्र के दिसंबर महीने में ही मंगलपुर पुल के समीप 225 लीटर शराब को बरामद करने के साथ ही पुलिस ने नाव को भी जब्त किया था।

गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात भी कहते हैं कि नदी मार्ग से शराब तस्करों को पकड़ना पुलिस के लिए चुनौती है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि सड़क मार्ग हो या नदी मार्ग, पुलिस शराब तस्करों के खिलाफ लगातार कार्रवाई में जुटी है। उन्होंने कहा कि लगातार छापेमारी की जाती है। उल्लेखनीय है कि बिहार में 2016 से शबाबबंदी कानून लागू है, जिसके तहत प्रदेश में शराब बिक्री और सेवन प्रतिबंधित है।

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