पहली प्राथमिकी एक नाबालिग पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों पर पॉक्सो अधिनियम के साथ आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज की गई है। दूसरी प्राथमिकी अन्य वयस्क शिकायतकर्ताओं द्वारा दी गई शिकायतों की व्यापक जांच करने के लिए शीलभंग से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई है।
·
2 FIRs registered in Connaught Place PS over the complaints by female wrestlers against WFI chief Brij Brijbhushan Sharan Singh: Pranav Tayal, DCP
महिला पहलवानों की शिकायत पर भारतीय कुश्ती संघ अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के कनॉट प्लेस थाने में दो प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। डीसीपी प्रणव तयाल ने बताया कि पहली प्राथमिकी एक नाबालिग पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों पर पॉक्सो अधिनियम के साथ-साथ आईपीसी की प्रासंगिक धाराओं के तहत दर्ज की गई है। दूसरी प्राथमिकी अन्य वयस्क शिकायतकर्ताओं द्वारा दी गई शिकायतों की व्यापक जांच करने के लिए शीलभंग से संबंधित धाराओं के तहत दर्ज की गई है।
इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट में पहलवानों के मामले पर सुनवाई हुई। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि वह कुश्ती महासंघ अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोप में एफआईआर दर्ज करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने का फैसला किया है, हम इसे आज ही दर्ज करेंगे।
इस पर चीफ जस्टिस ने मेहता से कहा कि मिस्टर सॉलिसिटर हम आपका बयान दर्ज करेंगे कि एफआईआर दर्ज की जा रही है। दूसरा, हम कहेंगे कि नाबालिग शिकायतकर्ता को सुरक्षा मुहैया कराई जाए। इसे निपटाने के बजाय, हम इसे एक सप्ताह के बाद लेंगे। इस दौरान कपिल सिब्बल ने एक नाबालिग शिकायतकर्ता लड़की की सुरक्षा को लेकर सीलबंद लिफाफे में पीठ के समक्ष एक हलफनामा पेश किया। जिस पर पीठ ने दिल्ली पुलिस को खतरे की आशंका का आकलन करने और नाबालिग लड़की को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।
बता दें कि पहलवानों द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि उन्होंने कई बार दिल्ली पुलिस से एफआईआर दर्ज करने की मांग की, लेकिन वे असफल रहे। याचिका में कहा गया है कि देश को गौरवान्वित करने वाली महिला एथलीट यौन उत्पीड़न का सामना कर रही हैं। इस मामले में आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है और न्याय से बचने के लिए कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और हेरफेर कर रहा है।
याचिका में कहा गया है कि यह महत्वपूर्ण है कि पुलिस यौन उत्पीड़न की सभी शिकायतों को गंभीरता से ले और तुरंत एफआईआर दर्ज करे। साथ ही एफआईआर दर्ज करने में देरी करके न्याय के रास्ते में बाधा पैदा न करे। एफआईआर दर्ज करने में देरी न केवल पुलिस विभाग की विश्वसनीयता को कम करती है बल्कि यौन उत्पीड़न के अपराधियों को भी प्रोत्साहित करती है, जिससे महिलाओं के लिए आगे आना और ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट करना अधिक कठिन हो जाता है।