43 साल बाद मुरादाबाद दंगे की रिपोर्ट सार्वजनिक करेगी आदित्यनाथ सरकार- मुस्लिम नेता को ठहराया गया था दोषी
Adityanath government will make public the report of Moradabad riots after 43 years
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में कथित तौर पर मुस्लिम नेता के कहने पर दंगे भड़क गए और एक ही झटके में 83 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। इतना ही नहीं बल्कि इन दंगों में 112 लोग घायल भी हुए है। यह मामला 1980 का है जब मुस्लिम लीग के नेता के कहने पर ईद की नमाज के दौरा दंगा भड़क गया था। अब 1980 में हुए दंगों की रिपोर्ट को योगी सरकार सार्वजनिक करने जा रही है। इस दंगे की जांच के लिए बनी जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को योगी सरकार विधानसभा पटल पर रखेगी। आपको बता दें कि 3 अगस्त 1980 को ईद की नमाज के दौरान यह दंगा भड़का था। इसमें हैरान करने वाली बात ये है कि 1980 से लेकर 2017 तक राज्य में कई दलों की सरकार रही लेकिन कोई भी सरकार रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं कर सकी।
मौत के घाट उतार दिए गए थे 83 लोग
आपको बता दें कि यूपी में हुए इस भीषण दंगे में 83 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। वहीं, 112 लोग घायल हुए थे। इस दंगे की जांच सक्सेना आयोग ने की थी, लेकिन कहा जाता है कि जांच रिपोर्ट इतनी विस्फोटक थी कि किसी मुख्यमंत्री ने 43 सालों में इसे सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटाई। अब सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इसे सदन के पटल पर रखने को मंजूरी दी गई है।
बी.पी. सिंह ने किया था आयोग का गठन
जस्टिस सक्सेना आयोग का गठन तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.पी. सिंह ने किया था और इस आयोग ने 20 नवंबर 1983 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस जांच में बीजेपी और आरएसएस की भूमिका का कोई प्रमाण नहीं मिला था। जब ये दंगे हुए तब उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। इतना ही नहीं बल्कि सिंह बाद में भारत के प्रधानमंत्री भी बने।