सिलक्यारा, बड़कोट उत्तरकाशी के उन इलाके में से हैं जहां भारी बर्फबारी होती है। पहाड़ी मिट्टी होने की वजह से बारिश के बाद हल्की होकर और धंसने लगती है।
Uttarkashi Tunnel | When will the workers rescued? IMD alert increased tension
उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुंरग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए लगातार कोशिशें जारी हैं। मजदूरों को सुरंग से निकालने के लिए जारी अभियान का आज 15वां दिन है। मजदूरों को सुरंग से निकालने के लिए पहुंचाई जाने वाली 80 सेंटीमीटर व्यास की आखिरी 10 मीटर की पाइप बिछाने का काम पिछले तीन दिनों से नहीं हो पा रहा है। शनिवार को ड्रिल करने वाली ऑगर मशीन खराब हो गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच एक और परेशान करने वाली खबर सामने आई है। मौसम विभाग ने बारिश और बर्फबारी को लेकर उत्तराखंड के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। अलर्ट के मुताबिक, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा के ऊपरी इलाकों में भारी बारिश के साथ बर्फबारी की संभावना है। ऐसे में अगर बारिश और बर्फबारी हुई तो बचाव अभियान में मुश्कलें आ सकती हैं।
सिलक्यारा, बड़कोट उत्तरकाशी के उन इलाके में से हैं जहां भारी बर्फबारी होती है। पहाड़ी मिट्टी होने की वजह से बारिश के बाद हल्की होकर और धंसने लगती है। ऐसे में सुरंग के अंदर डाली गई पाइप जिस सहारे पर टिकी है और यहां रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे लोगों की सुरक्षा बड़ी चुनौती होगी। अगर बर्फबारी हुई तो रेस्क्यू ऑपरेशन पर असर पड़ सकता है। बर्फबारी के बाद बिजली की दिक्कत पैदा हो सकती है। इसके अलावा ठंड बढ़ने की वजह से सुरंग में मजदूरों को भी दिक्कतें बढ़ेंगी।
कहां तक पहुंचा बचाव अभियान?
अब तक मलबे में 46.9 मीटर की ड्रिलिंग हो सकी है। सुरंग के ढहे हिस्से की लंबाई करीब 60 मीटर है। सीएम धामी के मुताबिक, ब्लेड के करीब 20 हिस्से को काट दिया गया है और शेष काम पूरा करने के लिए हैदराबाद से एक प्लाज्मा कटर हवाई मार्ग से लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ‘मैन्युअल ड्रिलिंग’ शुरू हो जाएगी।
ऑगर मशीन के ब्लेड मलबे में फंसने से रेस्क्यू ऑपरेशन रुकने के बाद दूसरे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। शनिवार को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई कि श्रमिक अगले महीने क्रिसमस तक बाहर आ जाएंगे। शुक्रवार को लगभग पूरे दिन ‘ड्रिलिंग’ का काम बाधित रहा, हालांकि समस्या की गंभीरता का पता शनिवार को चला जब सुरंग मामलों के अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने बताया कि ऑगर मशीन खराब हो गई है।
अब अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया है। मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग। वहीं, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इस अभियान में लंबा समय लग सकता है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मुताबिक, जिस पाइप के अंदर घुसकर मैनुअल ड्रिलिंग की जानी है, उसमें पहले से उपकरण डाला गया है, जिसे निकाला जा रहा है। उसके बाहर आते ही हाथ से ड्रिलिंग शुरू की जाएगी। इसके अलावा वर्टिकल ‘ड्रिलिंग’ के लिए भारी उपकरणों को शनिवार को 1.5 किलोमीटर की पहाड़ी सड़क पर ले जाया गया। इस मार्ग को सीमा सड़क संगठन द्वारा तैयार किया गया है।
श्रमिकों को 6 इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं। पाइप के जरिए कम्युनिकेशन सिस्टम स्थापित किया गया है। इसके जरिए मजदूरों के परिजनों को साथ ही एनडीआरफ के चिकित्सकों की टीम भी लगातार बात कर रही है। पाइप के जरिए एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी सुरंग में डाला गया है, जिससे बचावकर्मी अंदर की स्थिति देख पा रहे हैं। सुरंग में फंसे मजदूर सुरक्षित हैं, लेकिन दिन गुजरने के साथ उनका मनोबल टूट रहा है।
उत्तरकाशी में चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर दिवाली के दिन को ढह गया था, जिससे उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। तभी से अलग-अलग एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए बड़े स्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं।