उत्तराखंड: एक और जोशिमठ! दरकने लगा उत्तरकाशी, गांव में दिखी दरारें

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Uttarakhand | After Joshimath, wide cracks in Uttarkashi village cause panic

Uttarakhand | After Joshimath, wide cracks in Uttarkashi village cause panic
Uttarakhand | After Joshimath, wide cracks in Uttarkashi village cause panic

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भारी बारिश के बाद मस्तारी गांव में सड़कों और कई घरों की दीवारों में चौड़ी दरारें आ गई हैं।

Uttarakhand | After Joshimath, wide cracks in Uttarkashi village cause panic

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में भारी बारिश के बाद मस्तारी गांव में सड़कों और कई घरों की दीवारों में चौड़ी दरारें आ गई हैं। उत्तरकाशी के घरों में दरारों ने यहां से करीब 300 किलोमीटर दूर जोशीमठ की याद दिला दी है, जहां इस साल की शुरुआत में भूमि धंसने के कारण हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना पड़ा था।

उत्तरकाशी के मस्तारी गांव में दरारों की सूचना के बाद आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की क्विक रिस्पॉन्स टीम दरारों के निरीक्षण के लिए गांव पहुंची और वहां लोगों को सतर्क रहने को कहा। मस्तारी के मुखिया सत्यनारायण सेमवाल ने बताया कि गांव में जमीन धंसना एक पुरानी समस्या है, लेकिन पिछले शनिवार को हुई बारिश के कारण लोगों के घरों में दरारें चौड़ी हो गईं और दरारों से पानी निकलने लगा, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं।

1991 में भूकंप के बाद से मस्तारी में जारी है जमीन धंसना

सेमवाल ने कहा कि गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है लेकिन अधिकारी मस्तारी गांव पर उतना ध्यान नहीं दे रहे हैं जितना देना चाहिए। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि मस्तारी गांव में जमीन धंसने की समस्या 1991 के भूकंप के बाद शुरू हुई थी।

मामले की जानकारी के बाद 1997 में भूवैज्ञानिकों ने गांव में एक सर्वेक्षण किया और कुछ अन्य सुरक्षात्मक उपायों की सिफारिश करने के अलावा सुझाव दिया कि ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए। मुखिया सत्यनारायण सेमवाल ने कहा कि शनिवार रात को भारी बारिश के बाद मस्तारी में घरों के आंगन से लेकर सड़कों तक की दरारें चौड़ी हो गईं।

आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल ने बताया कि गांव में तीन बार भूवैज्ञानिक जांच करायी गयी है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। इस बीच, जोशीमठ में एक घर के पास एक ताजा दरार दिखाई दी है, जिससे लोगों में मानसून के दौरान पहाड़ी शहर में भूमि धंसने की समस्या बढ़ने की चिंता बढ़ गई है।

बताया जा रहा है कि करीब छह फीट गहरी दरार को स्थानीय लोगों ने भर दिया है, लेकिन पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों की एक टीम समस्या पर नजर रख रही है। बता दें कि जनवरी में जोशीमठ में 868 घरों में दरारें आ गईं थीं। इनमें से 181 घरों को जिला प्रशासन ने असुरक्षित घोषित कर दिया और उनमें रहने वालों को शहर के भीतर और बाहर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। फिलहाल, जोशीमठ में 60 परिवार राहत शिविरों में रह रहे हैं।

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