उत्तराखंड: दरकता पहाड़, एक और जोशीमठ! अब बद्रीनाथ, उत्तरकाशी का अस्तित्व ख़तरे में, मकानों में आई दरारें

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Uttarakhand | After Joshimath, now the existence of Badrinath and Uttarkashi is under threat! cracks in many houses

Uttarakhand | After Joshimath, now the existence of Badrinath and Uttarkashi is under threat! cracks in many houses
Uttarakhand | After Joshimath, now the existence of Badrinath and Uttarkashi is under threat! cracks in many houses

अलकनंदा किनारे बदरीनाथ पुराने मार्ग पर दुकानों और तीर्थ पुरोहितों के मकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है। यहां रीवर फ्रंट का काम भी जोरशोर से चल रहा है।

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उत्तराखंड के जोशीमठ में भू धंसाव और दरारों से लोगों को अभी तक राहत भी नहीं मिली थी कि अब बदरीनाथ और उत्तरकाशी में भी कई भवन भूस्खलन की जद में आ गए हैं। यहां भी धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है और भूस्खलन का खतरा हर पल बढ़ रहा है। बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान महायोजना के तहत चल रहे रीवर फ्रंट के कार्यों से बदरीनाथ पुराने मार्ग पर कई भवनों को भूस्खलन का खतरा पैदा हो गया है। इतना ही नहीं भवनों के नीचे से धीरे-धीरे जमीन खिसक रही है।

रुक-रुककर हो रही बारिश से अलकनंदा का जलस्तर भी बढ़ गया है। इससे मकानों को और भी खतरा बना हुआ है। नदी के पास हरि निवास पूरी तरह से भूस्खलन की जद में आने के कारण प्रोजेक्ट इंप्लीमेंशन यूनिट(पीआईयू) की ओर से इसके डिस्मेंटल की कार्रवाई की जा रही है। बदरीनाथ मास्टर प्लान में द्वितीय चरण के तहत बदरीनाथ मंदिर के इर्द-गिर्द 75 मीटर तक निर्माण कार्यों को ध्वस्त किया जा रहा है। अलकनंदा किनारे बदरीनाथ पुराने मार्ग पर दुकानों और तीर्थ पुरोहितों के मकानों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है। यहां रीवर फ्रंट का काम भी जोरशोर से चल रहा है। बदरीनाथ धाम पीआईयू के ईई पीके सैनी ने बताया कि, बदरीनाथ धाम में रीवर फ्रंट का काम जारी है।

यहां भूस्खलन की जद में आए हरि निवास भवन को डिस्मेंटल किया जाएगा। यदि अन्य भवन भी भूस्खलन से प्रभावित हैं तो उन्हें दिखवाया जाएगा। नदी किनारे तेजी से दीवार निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। मकानों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे। नदी किनारे स्थित मकानों और धर्मशालाएं अब भूस्खलन की चपेट में आने लगी हैं। मास्टर प्लान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जमुना प्रसाद रैवानी ने बताया कि तप्तकुंड से लेकर नारायणपुरी मंदिर तक 40 मकान ऐसे हैं जो पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। हरि निवास के समीप एक गेस्ट हाउस पर पंजाब नेशनल बैंक की शाखा संचालित होती है। यह भवन भी भूस्खलन से कभी भी ढह सकता है। इसका पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। उनका कहना है कि नदी किनारे बड़ी-बड़ी मशीनों से खुदाई का काम किया जा रहा है। जिससे मकानों की नींव हिल गई है। कई बार शासन-प्रशासन से शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

उधर, उत्तरकाशी बाड़ागड्डी क्षेत्र के मस्ताड़ी गांव में करीब 15 मकानों में पड़ी दरारें अब बारिश से और चौड़ी हो गईं। ऐसे में ग्रामीणों को मानसून सीजन में अपने घरों में रात में भी रहने में डर लग रहा है। ग्राम प्रधान और ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से पुनर्वास की मांग कर रहे हैं लेकिन शासन और प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जबकि गत वर्ष मानसून सीजन में ग्रामीणों के घरों के अंदर जमीन से पानी निकला था। ग्राम प्रधान मस्ताड़ी सत्यानायण सेमवाल ने बताया कि बारिश के कारण गांव के करीब 15 मकानों की दीवारों पर करीब 6 से 7 इंच की दरारें बढ़ गई हैं। अब मानसून सीजन शुरू हो गया है। इन दरारों को देखकर ग्रामीणों में भय बना है।

सेमवाल ने प्रशासन से उनके पुनर्वास की मांग की। उन्होंने कहा कि वर्ष 1990 के भूकंप के बाद गांव में भू- धंसाव की स्थिति बन गई थी। कुछ वर्षों तक स्थिति सामान्य रही लेकिन गत वर्ष ग्रामीणों के घरों के अंदर जमीन से अचानक पानी आने लगा और कई मकानों में दरारें पड़ गई थीं। सालभर से कोई ट्रीटमेंट और सुरक्षा व्यवस्था न होने के कारण इस वर्ष यह दरारें और भी बढ़ गई हैं। वहीं जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल का कहना है कि मस्ताड़ी गांव का जियोलॉजिकल सर्वे करवाया गया था। अब जांच के हाई ऑथोरिटी को पत्र भेजा गया है।

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