देहरादून में आढ़त बाजार शहर का सबसे बड़ा बाटलनेक बना है। अब शहर के आढ़त बाजार को जल्द ही दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए सर्वे का काम शुरू हो चुका है।
Dehradun | Uttarakhand government’s decision, there will be no wholesale business in the 100-year-old commission market, ban imposed
देहरादून में 100 साल से भी पुराना बाजार आढ़त बाजार शिफ्ट करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस बाजार को लंबे समय से शहर से बाहर ले जाने की कोशिश की जा रही है। शहर के मुख्य मार्ग और बीचोंबीच होने के कारण आढ़त बाजार को यहां से शिफ्ट करने की मांग उठती रही है। जिस पर अब शासन और प्रशासन की पहल पर तेजी से काम हो रहा है। वर्तमान में आढ़त बाजार शहर का सबसे बड़ा बाटलनेक बना है।
देहरादून के राजधानी बनने के बाद बाजारों में ट्रैफिक का दबाव बढ़ा है। जिस वजह से शहर के मुख्य बाजारों में जाम की समस्या बढ़ती जा रही है। सहारनपुर चौक से प्रिंस चौक जो कि शहर का सबसे मुख्य भाग है, के बीच आढ़त बाजार है। यहीं से पूरे प्रदेश का राशन और अन्य जरुरी राशन जाता है। अब शहर के आढ़त बाजार को जल्द ही दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए सर्वे का काम शुरू हो चुका है। सर्वे खत्म होने के बाद आगे की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। बाजार शिफ्ट होने से सहारनपुर चौक से लेकर तहसील चौक तक रास्ता चौड़ा हो जाएगा। जिससे जाम की समस्या से निजात मिलेगी। सर्वे के बाद सहारनपुर चौक से लेकर तहसील चौक तक सड़क की चौड़ाई 24 मीटर तक बढ़ाने की योजना है। बीते 20 साल से आढ़त बाजार को शिफ्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं। अब आढ़त बाजार को पटेल नगर पुलिस चौकी के साथ लगती एमडीडीए की करीब 109 बीघा भूमि पर शिफ्ट करने का फैसला लिया गया है। यहां एक हिस्से में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट योजना के तहत आवासों का निर्माण भी प्रस्तावित है।
प्रशासन चिह्रित कर आढ़त व्यापारियों को हेंडओवर कर दे
आढ़त बाजार होलसेल डीलर एसोसिएशन के महासचिव विनोद गोयल ने कहा कि प्रशासन पटेलनगर थाने के पास जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव दे रही है। जो कि प्रशासन चिह्रित कर आढ़त व्यापारियों को हेंडओवर कर दे। इसके बाद इस जमीन पर निर्माण कार्य किया जा सके। वर्ष 2019-20 के जिस प्रस्ताव को केंद्र में रखते हुए जिला प्रशासन आढ़त बाजार शिफ्टिंग पर आगे बढ़ रहा है, उसके तहत प्रिंस चौक से सहारनपुर चौक तक 550 मीटर भाग को 24 मीटर तक चौड़ा किया जाना है। पूर्व में प्रस्ताव में व्यापारियों के लिए दो विकल्प दिए गए थे। पहला विकल्प यह था कि व्यापारियों को जमीन अधिग्रहण का मुआवजा दिया जाए। वहीं, मुआवजा न लेने की दशा में शेष जमीन पर जितनी मंजिल बनाई जा सकती है, उसमें एक अतिरिक्क्त मंजिल की छूट देने का भी विकल्प रखा गया था
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