उत्तराखंड: जिम कॉर्बेट में पेड़ों के कटान पर HC की धामी सरकार को चेतावनी, कहा- क्यों न हो CBI जांच

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Cutting of 6,000 trees in Jim Corbett Park, Why not CBI inquiry, asks Uttarakhand High Court

Cutting of 6,000 trees in Jim Corbett Park, Why not CBI inquiry, asks Uttarakhand High Court
Cutting of 6,000 trees in Jim Corbett Park, Why not CBI inquiry, asks Uttarakhand High Court

नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटान पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाय। साथ ही कोर्ट ने सरकार से एक सितंबर तक जवाब मांगा है।

Cutting of 6,000 trees in Jim Corbett Park, Why not CBI inquiry, asks Uttarakhand High Court

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों के कटान मामले पर हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की है। अनु पंत की याचिका पर नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई। नैनीताल हाईकोर्ट ने कॉर्बेट नेशनल पार्क में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटान पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाय। साथ ही कोर्ट ने सरकार से एक सितंबर तक जवाब मांगा है।

बता दें कि कॉर्बेट नेशनल पार्क में पेड़ों के कटान का मामला सुर्खियों में है। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि मुख्य सचिव की ओर से जो जवाब पेश किया गया है, वो गुमराह करने वाला है।

याचिकाकर्ता का कहना है कि मामले में सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। शपथपत्र में इसका कोई उल्लेख नहीं है और सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी, एनजीटी और राज्य के ऑडिटर जनरल की जांच रिपोर्ट में तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत पर उंगली उठाई गई है।

इस मामले में आरोप लगाते हुए कहा गया कि तत्कालीन वन मंत्री ने नियम विरुद्ध कॉर्बेट के कालागढ़ में डीएफओ किशन चंद की तैनाती की। इतना ही नहीं करीब 6000 पेड़ों को काटा गया।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, कालागढ़ में जनरेटर सेट भी लगाए गए। वहीं, मामले में सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने राजनीति द्वेष के चलते याचिका दाखिल की है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पूर्व राजीव भरतरी के अधिक्ता रह चुके हैं। साथ ही सरकार की ओर से ये भी कहा गया कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। वहीं कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से पूछा कि क्यों न पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जाए। साथ ही सरकार इस मामले में एक सितंबर तक जवाब पेश करने को कहा गया है।

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