कर्णप्रयाग में बहुगुणा नगर के कई घरों में दरारें दिखाई दीं। स्थानीय एक व्यक्ति ने बताया कि 2 साल पुराना हमारा घर है और एक साल से इसमें दरारें आने शुरू हुई हैं इसके लिए हमने प्रशासन से भी बात की तो उन्होंने इसके लिए सिर्फ 5,200 रुपए दिए हैं।
After Joshimath, cracks appear in houses in Uttarakhand’s Karnprayag, people seek govt help
उत्तराखंड: प्रयाग में बहुगुणा नगर के कई घरों में दरारें दिखाई दीं। स्थानीय एक व्यक्ति ने बताया कि 2 साल पुराना हमारा घर है और एक साल से इसमें दरारें आने शुरू हुई हैं इसके लिए हमने प्रशासन से भी बात की तो उन्होंने इसके लिए सिर्फ 5,200 रुपए दिए हैं।
चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने कहा- पिछले कुछ दिनों में कर्णप्रयाग में भी दरारें परिलक्षित हुई हैं तो उस जगह को बचाने के लिए IIT रुड़की इस पर अध्ययन कर रहे हैं। इनके अध्ययन के हिसाब से हम आगे की कार्रवाई करेंगे।
जोशीमठ में क्या है अपडेट ?
चमोली जिला प्रशासन ने जोशीमठ नगर क्षेत्र में भू-धंसाव के कारण अब तक कुल 723 भवनों को चिन्हित किया गया है,चिन्हित सभी भवनों में दरारें आयी है।
वहीं चमोली जिला प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिगत अभी तक 131 परिवारों के 462 लोगों को अस्थायी राहत शिविरों में विस्थापित किया है। राहत शिविरों में लोगों को खाद्यान्न किट, कंबल, दूध पैकेट दिए जा रहे हैं साथ ही लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। राहत शिविरों में जिला प्रशासन द्वारा लोगों को प्रतिदिन कुक्ड फूड उपलब्ध कराया जा रहा है।
चमोली जिलाधिकारी ने बताया कि जोशीमठ में राहत कार्यो के तहत जिला प्रशासन द्वारा अभी तक तीक्ष्ण एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त 10 भवन स्वामियों को प्रति भवन 1.30लाख की दर से 13लाख की धनराशि का वितरण किया गया है।
वहीं जोशीमठ में असुरक्षित चिन्हित भवनों को गिराने का काम भी शुरु किया जा रहा है। सबसे पहले दो होटलों को गिराने का काम किया जाएगा, इसके लिए एक दिन पहले ही जिला प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है, इसके बाद बाकी असुरक्षित भवनों को ध्वस्त किया जाएगा।
होटल के बाहर धरना
मलारी होटल में दरारें आने के बाद होटल के मालिक व उनके परिजन मुआवजे की मांग को लेकर होटल के बाहर बैठे हैं। होटल के मालिक ने बताया, “मैं अपने लिए यहां नहीं बैठा हूं, मेरा बेटा फ्रांस में रहता है…मैं तो वहां चला जाऊं लेकिन मैं यहां के लोगों के लिए बैठा हूं।”
इससे पहले जोशीमठ में मंगलवार को होटल माउंट व्यू और मलारी इन को ध्वस्त किया जाना था, लेकिन होटल स्वामियों ने कार्रवाई का विरोध शुरू कर दिया। उनका कहना था कि आर्थिक मूल्यांकन नहीं किया गया, साथ ही नोटिस तक नहीं दिए गए। विरोध बढ़ने पर प्रशासन को कदम पीछे खींचने पड़े। हालांकि अधिकारियों का कहना कुछ और ही है। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा ने कहा कि ऊंचे भवनों को तोड़ने के लिए क्रेन की आवश्यकता है, जो वहां नहीं मिल पाई। इसलिए देहरादून से क्रेन भेजी गई है, जो बुधवार को वहां पहुंच जाएगी।