अनुमान है कि इस साल दुनिया भर से 25 लाख से ज्यादा हज यात्री मक्का पहुंचे हैं। कोरोना के बाद 2022 में जब हज यात्रा फिर से शुरू हुई थी तो दस लाख हज यात्री पहुंचे थे। इसके पहले साल 2019 में सबसे अधिक 25 लाख तीर्थयात्रियों ने हज किया था।
Holy Hajj continues in Saudi Arabia, tomorrow the sacrifice will be given after stoning the devil
सऊदी अरब में जारी हज यात्रा 2023 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। इस्लामिक कैलेंडर के ज़िलहिज्जा महीने की 8 तारीख से शुरू हज का आज दूसरा दिन है। तमाम हाजी मीना से निकल कर अराफात की पहाड़ी पर इबादत करने के बाद आज रात मुजदलफा के मैदान में इबादत करेंगे। फिर यहीं से कल सुबह यानी सऊदी अरब के मुताबिक 10 तारीख को मीना शहर लौटकर शैतान को कंकरी मारने की परंपरा निभाएंगे और फिर सभी पुरुष अपना सिर मुंडवाएंगे।
इसके बाद सभी हाजी मक्का वापस लौटकर काबा का तवाफ करेंगे यानी सात चक्कर लगाएंगे। इसके बाद सभी हाजी हज की कुर्बानी अदा करेंगे। इसके बाद हज यात्री मीना शहर लौटेंगे और वहीं दो दिन तंबूनुमा घरों में रहेंगे और फिर 12 तारीख को यानि हज के पांचवे दिन आखिरी बार मक्का पहुंचकर काबा का तवाफ करेंगे। इसके साथ पवित्र हज यात्रा पूरी हो जाएगी।
क्या है हज
हज अरबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब तीर्थयात्रा होता है। हज इस्ला।म के पांच जरुरी मुख्य स्तंभों (बुनियादी फर्ज) में शामिल है। ये स्तंभ हैं- कलमा, नमाज, रोजा, जकात और हज। आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम सभी मुसलमानों को अपने जीवन में कम-से-कम एक बार हज पर जाना फर्ज है। यही कारण है कि हर साल पूरी दुनिया से लाखों मुसलमान हज यात्रा के लिए सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का पहुंचते हैं। इस्लामी तारीख के अनुसार, पहला हज मुसलमानों के आख़िरी नबी हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स.अ. ने सन 628 हिजरी में किया था, जब मदीने से मक्का हज के लिए तशरीफ़ लाए थे।
क्या है हज की प्रक्रिया
हज इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ज़िलहिज्जा महीने में होती है यानी जिस महीने में बकरीद आती है। हर साल इस महीने की शुरुआत से पहले दुनिया भर से लाखों हज यात्री सऊदी अरब के जेद्दा और मदीना शहर पहुंचते हैं। वहां से एक निश्चित तारीख को मक्का शहर जाते हैं। लेकिन मक्का से ठीक पहले एक ख़ास जगह है- मीकात, जहां से नीयत के बाद बाक़ायदा हज यात्रा का आगाज होता है। मीकात में दाख़िल होने से पहले हज यात्री एहराम पहनते हैं। एहराम सफ़ेद रंग का बिना सिला कपड़ा होता है। औरतें आम कपड़े पहनती हैं और हिजाब से सिर ढकती हैं।
अराफात के मैदान में क्या होता है
इसके बाद एहराम बांधकर आजमीन ए हज 8 जिलहिज्जा को मक्का से 12 किलोमीटर दूर मिना शहर जाते हैं। इस दिन तमाम यात्री मिना में अपने खेमों में ही ठहरते हैं और अगली सुबह यानी 9 ज़िलहिज्जा को अराफ़ात के मैदान के लिए निकल जाते हैं। हज यात्री अराफात के मैदान में खड़े होकर अल्लाह की इबादत करते है और अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इस अमल को वफ़ूफ़े अरफ़ा कहते हैं। यहीं पर जबले रहमत नाम की पहाड़ी है, जहां यौमे अरफ़ा में हुज़ूर ने दुआ की थी। अराफ़ात में ज़ोहर और असर की नमाज़ एक साथ मिला कर पढ़ी जाती है।
मुजदलफा में क्या होता है
इसी दिन शाम को, यानी 9 ज़िलहिज्जा को शाम होते-होते हज यात्री मुज़दलफ़ा पहुंचते हैं और पूरी रात यहीं इबादत और दुआ में गुजारते हैं। यहां मग़रिब और इशा की नमाज़ साथ मिला कर अदा की जाती है। मुजदलफा में ही हज यात्री शैतान को मारने के लिए कंकरी चुनते हैं। इसके बाद सुबह 10 ज़िलहिज्जा को फजर की नमाज के बाद मिना लौट आते हैं। मिना पहुंच कर शैतान को कंकरी मारा जाता है। शैतान को कंकरी मारने के बाद मर्द हाजी अपने सिर मुंडवाते हैं, जबकि औरतों के बाल के कुछ हिस्से काटे जाते हैं। इसके बाद हाजी मक्का वापस लौटते हैं और काबा का तवाफ़ करते हैं और फिर कुर्बानी देते हैं। दुनिया भर में इसी तारीख़ यानी 10 ज़िलहिज्जा को ईद उल अज़हा (बकरीद) मनाई जाती है।
हज के आखिरी दो दिन
तवाफ के बाद हज यात्री फिर से मीना शहर में अपने खेमे में लौट जाते हैं और वहां दो दिन तंबूनुमा घरों में रहते हैं। महीने की 12 तारीख को यानि पांचवे दिन आखिरी बार हज यात्री मक्का पहुंचकर काबा का तवाफ करते हैं। इसके बाद हज की पवित्र यात्रा पूरी तरह मुकम्मल हो जाती है। इसके बाद से तमाम हाजियों को बारी-बारी से अपने देश लौटने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
खबरों के मुताबिक इस साल दुनिया भर से 25 लाख से ज्यादा लोगों के हज यात्रा पर पहुंचने का अनुमान है। कोरोना के कारण साल 2020 में केवल 1,000 स्थानीय तीर्थयात्रियों को हज करने की अनुमति दी गयी थी। जबकि 2021 में, संख्या बढ़कर 60,000 पहुंच गई थी। कोरोना के बाद 2022 में जब हज यात्रा शुरू हुई तो दस लाख हज यात्री पहुंचे थे। इसके पहले साल 2019 में इन सबसे अधिक 25 लाख तीर्थयात्रियों ने हज किया था।