#देखें_वीडियो | सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और महंत राजूदास के बीच टीवी डिबेट के दौरान भिड़ंत हो गई। दोनों के बीच मारपीट की खबर सामने आई है। मारपीट का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
#WATCH_VIDEO | Swami Prasad Maurya, Mahant Raju Das come to blows in TV debate, video viral
रामचरित मानस को लेकर विवादों में घिरे समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर से चर्चा में हैं। दरअसल टीवी डिबेट के दौरान कार्यक्रम में राजू दास परमहंस के साथ उनकी नोंकझोंक इस कदर बढ़ी की दोनों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। जानकारी के अनुसार टीवी डिबेट के दौरान राजू दास परमहंस स्वामी प्रसाद मौर्य पर भड़क गए। वह इस बात से नाराज थे कि स्वामी प्रसाद ने भगवान राम का अपमान किया है। जिसके बाद दोनों में बहस काफी बढ़ गई और हालात इस कदर बिगड़े कि दोनों के बीच मारपीट तक होने लगी।
राजू दास का दावा है कि स्वामी प्रसाद के समर्थकों ने उनके साथ मारपीट की है, लिहाजा वह स्वामी प्रसाद के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाने जा रहे हैं। वहीं स्वामी प्रसाद ने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर इस बात की शिकायत दर्ज कराई है। होटल ताज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान दोनों के बीच यह झड़प हुई है। स्वामी प्रसाद ने अपनी शिकायत में कहा है कि अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास और उनके समर्थकों ने तलवार और फरसे से हमले की कोशिश की है।
दरअसल जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों को लेकर विवादित बयान दिया है उसके बाद से वह चर्चा में है। उन्होंने कहा था कि देश में कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते हैं, यह सब बकवास है। इसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा था। यही नहीं उन्होंने यह तक कहा कि सरकार को इसमे आपत्तिजनक अंश का संज्ञान लेना चाहिए और उसे इसमे से हटाया जाना चाहिए। यही नहीं स्वामी प्रसाद ने तो यहां तक कह दिया कि इसे बैन कर देना चाहिए। स्वामी प्रसाद ने कहा कि ब्राह्मण चाहे जितना दुराचारी, अनपढ़, गंवार हो उन्हें पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञान अर्जित करे उसका सम्मान नहीं करने की बात कही गई है, यह किस तरह का धर्म है।
जिस तरह से स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस को लेकर विवादित बयान दिया था उसके बाद उनके खिलाफ कई जगहों पर शिकायत दर्ज हुई। भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव को कटघरे में खड़ा किया। लेकिन अभी तक अखिलेश यादव की ओर से इस पूरे मामले में स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
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