नोटबंदी के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई टली, अब 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई, फैसले को लेकर कठघरे में मोदी सरकार

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Supreme Court Constitution Bench says it will hear on October 12 pleas challenging the Centre’s 2016 decision to demonetize currency notes of Rs 500 & 1,000

Delay in transfer of HC judges: ‘May result in administrative, judicial actions which may not be palatable’, SC warns Modi governmen
SC warns Modi government

जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएश बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ मामले की सुनवाई करेगी।

Supreme Court Constitution Bench says it will hear on October 12 pleas challenging the Centre’s 2016 decision to demonetize currency notes of Rs 500 & 1,000

मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंची याचिका पर सुनवाई टल गई है, अब सुप्रीम कोर्ट 12 अक्टूबर को इस पर सुनवाई करेगा। कोर्ट का कहना है कि पहले यह जांच की जाएगी कि नोटबंदी को चुनौती दे रही याचिकाएं अकादमिक तो नहीं बन गई हैं। कोर्ट के अनुसार, यह भी पता लगाना होगा कि इसे सुना जा सकता है या नहीं। आपको बता दें, सरकार ने साल 2016 में नोटबंदी का ऐलान किया था।

आपको बता दें, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएश बोपन्ना, जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की एक और संविधान पीठ का गठन किया, जो पांच महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई करेगी, जिनमें नोटबंदी के फैसले को चुनौती संबंधी याचिकाएं भी शामिल हैं।

सुनवाई के दौरान कोर्ट में क्या हुआ?

नवंबर 2016 में 500, 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा – क्या यह मुद्दा अब भी जीवित है? जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामसुब्रमण्यम और बी.वी. नागरत्न ने याचिकाकर्ताओं के वकील से पूछा कि क्या यह मुद्दा अब जीवित है?

केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट में यह मुद्दा नहीं टिकेगा और यह एक वाद विवाद का विषय बन कर रह जाएगा, जिस पर बहस करने के लिए वो तैयार हैं।

पीठ ने कहा कि पहले से ही लंबित मामलों का बोझ है। नवंबर 2016 में 500, 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली कुल 58 याचिकाएं दायर की गई हैं।

न्यायमूर्ति गवई ने पूछा, कई याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि मामला अभी भी जिंदा है और अदालत को इस पर सुनवाई करनी चाहिए। “सवाल यह है कि क्या कुछ बचा हुआ है..”।

पीठ ने कहा कि इस मामले में दो पहलू हैं, पहला कार्रवाई की वैधता और नोटबंदी के कार्यान्वयन से जुड़ी समस्या। शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए अगले महीने की तारीख तय की।

पीठ ने स्पष्ट किया कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या याचिकाओं पर विचार करने की आवश्यकता है या यह एक वाद विवाद का विषय है।

नवंबर 2016 में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था में काले धन के संचलन को रोकने के उपाय के रूप में सभी 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी।

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