जनता को लगेगा महंगाई का झटका? बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? जानें वजह…

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Will inflation shock public again? Will the prices of petrol & diesel increase? Know the reason…

Will inflation shock public again? Will the prices of petrol & diesel increase? Know the reason...
Petrol-diesel prices hiked?

अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल का भाव 94 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। वहीं, WTI Crude 91 डॉलर प्रति बैरल पर है। कच्चे तेल की कीमत का यह आंकड़ा 10 महीने में सबसे ज्यादा है।

Will inflation shock public again? Will the prices of petrol & diesel increase? Know the reason…

देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चनाव से पहले एलपीजी सिलेंडर के दाम घटने के बाद उम्मीद जताई जा रही थी कि चुनावी मौसम में सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम भी घटाएगी। लेकिन अब इसके ठीक उल्टा भी हो सकता है। मतलब यह कि तेल की कीमतें घटाने की बजाय बढ़ सकती हैं। क्योंकि एक बार फिर कच्चे तेल के दाम आसमान छूने लगे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को कच्चे तेल का भाव 94 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। वहीं, WTI Crude 91 डॉलर प्रति बैरल पर है। कच्चे तेल की कीमत का यह आंकड़ा 10 महीने में सबसे ज्यादा है। अगर कच्चे तेल के दाम में इसी तरह तेजी जारी रही, तो आने वाले त्योहारी सीजन में जनता को महंगाई का झटका लग सकता है। आम लोगों की परेशानी बढ़ सकती है।

क्यों बढ़ी रही कच्चे तेल की कीमत?

सितंबर की शुरुआत में सऊदी अरब और रूस ने कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया था। इस फैसले के तहत दोनों ही देश दिसंबर 2023 तक 1.3 मिलियन बैरल कच्चे तेल के उत्पादन को घटाएंगे। सऊदी अरब के अगले महीने फिर से कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने या बढ़ाने को लेकर समीक्षा करेगा। सऊदी अरब की तरह अब रूस भी कच्चे तेल के उत्पादन को घटा रहा है। इस अवधि में रूस ने प्रति दिन 3 लाख बैरल तक कच्चे तेल के निर्यात को कम करने का भी फैसला किया है। यही वजह है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है।

बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?

कच्चे तेल का बड़ा आयातक होने की वजह से भारत की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता है। आयात किए जा रहे कच्चे तेल की कीमत भारत को अमेरिकी डॉलर में चुकानी पड़ती है। ऐसे में कच्चे तेल की कीमत बढ़ने और डॉलर के मजबूत होने से घरेलू स्तर पर पेट्रोल-डीजल के दाम प्रभावित होते हैं, कीमतों में इजाफा देखने को मिलता है। जब भी कच्चे तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती हैं, देश में भी तेल और पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ जाते हैं। ऐसे में अगर कच्चे तेल की कीमतें ऐसे ही बढ़ती रही तो देश में पेट्रल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं।

कच्चा तेल ऑल टाइम हाई कब था?

इससे पहले साल 2022 में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बाड़ी उछाल देखने को मिली थी। रूस-यूक्रेन जंग के बीच कच्चे तेल का भाव 139 डॉलर के स्तर पर पहुंच गया था। काफी समय तक इसी स्तर के आस-पास बने रहने के बाद कीमतों में कमी आई थी और यह 90 डॉलर के नीचे पहुंच गया था। कच्चा तेल ऑल टाइम हाई लेवल 147.27 डॉलर प्रति बैलर है। साल 2008 में जुलाई के महीने में इस स्तर को छुआ था। अब एक बार फिर से इसकी कीमतों में तेजी देखी जा रही है।

ऐसे तय होती है तेल की कीमत

हर दिन पेट्रोल डीजल की कीमत बदलती है। विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं, इसके आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। पेट्रोल और डीजल की कीमत हर रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में करों और अपने स्वयं के मार्जिन जोड़ने के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है।

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