UCC यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ रांची में सड़कों पर उतरे आदिवासी, झारखंड में दिखा बंद का असर

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Tribals on streets in Ranchi against the UCC Uniform Civil Code, the effect of the bandh in Jharkhand

Tribals on streets in Ranchi against the UCC Uniform Civil Code, the effect of the bandh in Jharkhand
Tribals on streets in Ranchi against the UCC Uniform Civil Code, the effect of the bandh in Jharkhand

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आदिवासियों को संविधान में विशेष दर्जा मिला हुआ है। आदिवासियों की शादी या अलगाव हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत नहीं होती। ऐसे में अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ तो आदिवासियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

Tribals on streets in Ranchi against the UCC Uniform Civil Code, the effect of the bandh in Jharkhand

देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के खिलाफ सोमवार को राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के भारत बंद के आह्वान का रांची सहित झारखंड के कई इलाकों में खासा असर देखने को मिला। इस दौरान रांची में आदिवासी संगठनों के लोग सड़कों पर उतर आए और शहर के प्रमुख चौराहे करमटोली चौक को पूरी तरह से जाम कर दिया गया। इसके कारण शहर के बड़े इलाके में लगभग दो घंटे तक आवागमन अस्त-व्यस्त रहा। रामगढ़ में भी सैकड़ों लोगों ने रांची-पटना रोड को घंटों जाम किए रखा।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के मुद्दे को लेकर रांची में सैकड़ों आदिवासी स्त्री-पुरुष बारिश के बावजूद सोमवार को सड़क पर उतर आए। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन, प्रदर्शनकारियों के आगे उनकी एक न चली। इस वजह से कई सड़कों पर जाम लग गया। करमटोली पर लगभग दो घंटे तक जाम करने के बाद लोगों ने राजभवन तक मार्च किया। प्रदर्शन कर रहे लोग यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के विरोध में राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद ने अब तक चार चरणों में विरोध-प्रदर्शन किया है। पहले चरण में 8 जुलाई को जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शन किया गया था। दूसरे चरण में 18 जुलाई को प्रखंड स्तर पर धरना प्रदर्शन और तीसरे चरण में 27 जुलाई को जिला स्तर पर रैलियों का आयोजन किया गया। वहीं, चौथे चरण में सोमवार को भारत बंद का ऐलान किया गया था।

प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि आदिवासियों को संविधान में विशेष दर्जा मिला हुआ है। आदिवासियों की शादी हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत नहीं होती है। इनके संबंध-विच्छेद में भी अलग तरीका अपनाया जाता है। आदिवासियों में सामाजिक तौर पर इसका निपटारा होता है। अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ तो आदिवासियों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा।

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