पहाड़ों में बड़े स्तर पर निर्माण का काम चल रहा है। सड़क चौड़ा करने के नाम पर पहाड़ों को गलत तरीके से काटा जा रहा है। पहाड़ों में निर्माण और घटता वन क्षेत्र हिमालय की उम्र घटा रहा है। निर्माण की वजह से पहाड़ दरक रहे हैं।
The real story of devastation in Himachal Pradesh! 113 landslides in 55 days, 330 people died
हिमाचल प्रदेश में बारिश और भूस्खलन से भारी तबाही मची है। शिमला के भूस्खलन प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान आज भी जारी है। अब तक 74 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं। शिमला के शिव मंदिर के मलबे से एक और शव बरामद किया गया है। वहीं, चंबा जिले में दो और लोगों की मौत के बाद प्रदेश में बारिश, बाढ़ और भूस्खलन से जुड़ी घटनाओं में मरने वालों की संख्या 74 हो गई है। सवाल यह है कि आखिर हिमाचल प्रदेश में इतनी तबाही क्यों मची है? तबाही के लिए जिम्मेदार कौन है? इस मुद्दे पर भूवैज्ञानिकों ने रोशनी डाली है। भूवैज्ञानिकों के बयानों से यह बात आपको समझ आ जाएगी कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है।
पहाड़ों में बड़े स्तर पर निर्माण का काम चल रहा है। सड़क चौड़ा करने के नाम पर पहाड़ों को गलत तरीके से काटा जा रहा है। पहाड़ों में निर्माण और घटता वन क्षेत्र हिमालय की उम्र घटा रहा है। निर्माण की वजह से पहाड़ दरक रहे हैं। हिमाचल इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आलम यह है कि यहां दो सालों में भूस्खलन की घटनाएं 6 गुना बढ़ गई हैं। सिर्फ इसी मॉनसून के 55 दिनों में 113 बार भूस्खलन हुए हैं। बारिश और भूस्खलन से जुड़ी घटनाओं में 330 लोगों की जान चली गई।
भूवैज्ञानिकों के अनुसार, सड़कों को चौड़ा करने के लिए हिमाचल के पहाड़ों को सीधा काटा जा रहा है। इस दौरान पहाड़ों की तलहटी की चट्टानें भी काटी जा रही हैं। ऐसा करने से जल निकासी की व्यवस्था खत्म हो गई है। इससे हिमाचल में ढलान वाले क्षेत्र भूस्खलन के लिए संवेदनशील हो गए हैं। निर्माण के दौरान टनल में धमाके और हाइड्रो प्रोजेक्ट से भी भूस्खलन की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
हिमालय क्षेत्र में किस स्तर पर निर्माण कार्य चल रहा है इस बात का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि हिमाचल में 68 सुरंगें बन रही हैं। इनमें 11 बन चुकी हैं, 27 निर्माणाधीन हैं और 30 विस्तृत परियोजना की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इनमें कई प्रोजेक्ट केंद्र के हैं। जाहिर अगर यह परियोजनाएं ऐसे ही जारी रहीं तो प्रदेश में भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों में और बढ़ोतरी होगी।
हिमाचल प्रदेश में इस बीच भूस्खलन संभावित क्षेत्र बढ़कर 17120 हो गए हैं। इनमें 675 ऐसी जगहें है, जहां आबादी बसी हुई है। शिमला में कई ऐसे सरकारी भवन हैं जो भूस्खलन के खतरे की चपेट में आ गए हैं।