रांची में हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन का उद्घाटन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को दीपावली के दिन किया था। लेकिन, आज इसके विशाल कारखानों के परिसरों में उदासी और मायूसी का गहरा अंधकार है।
Some are selling litti-chokha and some are driving autos, condition of HEC workers making equipment from Chandrayaan to Gaganyaan
कारखाने की ड्यूटी के बाद कोई फुटपाथ पर लिट्टी-चोखा का ठेला लगाता है तो कोई लोन पर लिया गया ऑटो चलाता है। किसी ने पार्ट टाइम फूड डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी पकड़ ली है तो किसी ने मोमो-बर्गर की स्टॉल लगा ली है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने चंद्रयान-3 के लिए लॉचिंग पैड सहित कई उपकरण बनाए हैं। इसरो के अगले प्रोजेक्ट गगनयान के लॉचिंग पैड और कई उपकरण बनाने का असाइनमेंट भी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे इन्हीं लोगों के भरोसे पूरा होना है।
ये लोग एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन) नामक उस पब्लिक सेक्टर उपक्रम के कर्मी हैं, जो देश में मदर ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज के रूप में मशहूर रहा है। रांची में हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन का उद्घाटन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 15 नवंबर 1963 को दीपावली के दिन किया था। लेकिन, आज इसके विशाल कारखानों के परिसरों में उदासी और मायूसी का गहरा अंधकार है।
करीब 22 हजार कर्मचारियों के साथ शुरू हुई कंपनी में अब 3400 कर्मचारी-अधिकारी हैं। कंपनी पर कर्ज और बोझ इस कदर है कि इन्हें 17-18 महीने से वेतन नहीं मिला है। आईआईटी मद्रास से इंजीनियरिंग करने के बाद एचईसी में नौकरी करने वाले गौरव सिंह बताते हैं कि आर्थिक तंगी की वजह से उन्होंने घर के सारे सामान बेच डाले और परिवार को गांव भेज दिया है।
इंजीनियर गणेश दत्त भी पैसे की कमी की वजह से डिप्रेशन में हैं। उन्होंने भी अपनी पत्नी और बच्चों को ससुराल में छोड़ दिया है। इलेक्ट्रिशियन के तौर पर काम करने वाले विनोद कुमार धुर्वा के सेक्टर-4 में साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाते हैं। वह कहते हैं कि उनकी दो बेटियां और एक बेटा है। बेटी की शादी करनी है, लेकिन पैसे के अभाव में नहीं कर पा रहे हैं। घर की माली हालत बेहद खराब है।
अरविंद सिंह ने दो साल पहले बेटी की शादी के लिए कर्ज लिया था। कर्ज न चुका पाने की वजह से अब देनदारी लगभग दोगुनी हो गई है। एचईसी के फाउंड्री फोर्ज प्लांट में मोल्डिंग का काम करने वाले हरिहर बड़ाईक पार्ट-टाइम ई-रिक्शा चलाते हैं तब जाकर घर में दो वक्त का खाना बन पा रहा है। एचईसी की टेक्निकल यूनिट में काम करने वाले शैलेश कुमार उर्फ दीपू लाल ने जेपी मार्केट में फर्नीचर की छोटी सी दुकान खोल रखी है।
एचईसी श्रमिक संघ के महामंत्री वेद प्रकाश सिंह कहते हैं कि यहां काम करने वाले हर कर्मचारी अब पाई-पाई के मोहताज हैं। हम लोग सरकार से लगातार मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। एचईसी मजदूर संघ के महामंत्री रमाशंकर प्रसाद का कहना है कि कई इंजीनियर रिजाइन करके जा रहे हैं, शायद सरकार यही चाहती है कि लोग खुद छोड़कर चले जाएं।
सीनियर मैनेजर ऋषिकेश कुमार कहते हैं कि हम सांसद से लेकर राष्ट्रपति तक गुहार लगा रहे हैं। जीवन-यापन बहुत मुश्किल हो गया है। यहां काम करने वाला हर कर्मचारी कर्ज में डूब चुका है। कंपनी के एक अधिकारी बताते हैं कि अभी भी कंपनी के पास करीब 1,200 करोड़ रुपए का वर्क ऑर्डर है, लेकिन वर्क ऑर्डर को पूरा करने के लिए कंपनी के पास वर्किंग कैपिटल नहीं है। इसरो के आगामी महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गगनयान के लिए लॉचिंग पैड, टावर क्रेन, होरिजेंटल स्लाइडिंग डोर सहित कई उपकरण बनाने का ऑर्डर भी एचईसी को मिला है।
बता दें कि एचईसी के ऊपर वर्तमान में 1200 करोड़ से ज्यादा की देनदारियां हैं, जिसमें हर रोज बढोतरी हो रही है। जो देनदारियां हैं, उसमें वेंडरों के 140.11 करोड़, सरकार का कर्ज 117.58 करोड़, बैंक लोन 202.93 करोड़, सीआईएसएफ का 121 करोड़, बिजली बिल मद में 153.83 करोड़, वेतन मद में 38.28 करोड़, ठेका कर्मियों का 15.94 करोड़, एरियर मद में 4.89 करोड़, पानी शुल्क मद में 48.06 करोड़, सिक्यूरिटी डिपॉजिट 37.89 करोड़ सहित अन्य मदों में 37.45 करोड़ रुपए शामिल हैं। 31 मार्च 2023 को एचईसी प्रबंधन ने अपनी देनदारियों की जानकारी भारी उद्योग मंत्रालय को देते हुए आर्थिक सहयोग की गुहार लगाई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने पहले ही मदद से इनकार कर दिया है।