PMLA केस में पत्रकार राणा को सुप्रीम कोर्ट से झटका, समन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

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SC dismisses Rana Ayyub’s plea challenging U.P. special court summons in money laundering case

SC dismisses Rana Ayyub's plea challenging U.P. special court summons in money laundering case
SC dismisses Rana Ayyub’s plea challenging U.P. special court summons in money laundering case

शीर्ष अदालत ने राणा अय्यूब के वकील की इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि उसने नवी मुंबई में अपना बैंक खाता खोला था, जिसमें पैसा एकत्र किया गया, इसलिए उनके खिलाफ गाजियाबाद की अदालत में नहीं, बल्कि मुंबई में एक विशेष नामित अदालत में मुकदमा चलाया जाना चाहिए।

SC dismisses Rana Ayyub’s plea challenging U.P. special court summons in money laundering case

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पत्रकार राणा अय्यूब की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले में गाजियाबाद की विशेष अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी गई थी। जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यन और जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने कहा कि मुकदमे के दौरान क्षेत्राधिकार का सवाल उठाया जा सकता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या अपराध की आय वहां पर अर्जित की गई थी।

पीठ ने कहाः “हमारा विचार है कि अधिकार क्षेत्र का मुद्दा एक रिट याचिका में तय नहीं किया जा सकता, खासकर जब अपराध के स्थान के बारे में एक गंभीर तथ्यात्मक विवाद हो। इसलिए, याचिकाकर्ता को विशेष अदालत के समक्ष यह प्रश्न उठाना चाहिए, क्योंकि इसका उत्तर उन स्थानों के साक्ष्य पर निर्भर करेगा, जहां धारा 3 में उल्लिखित प्रक्रियाओं या गतिविधियों में से कोई एक या अधिक को अंजाम दिया गया था। इसलिए, याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट के समक्ष क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के मुद्दे को उठाने की स्वतंत्रता देते हुए यह रिट याचिका खारिज की जाती है।”

शीर्ष अदालत ने राणा अय्यूब के वकील की इस दलील को स्वीकार नहीं किया कि चूंकि उसने नवी मुंबई में अपना बैंक खाता खोला था, जिसमें पैसा एकत्र किया गया था, इसलिए उनके खिलाफ गाजियाबाद की अदालत में नहीं, बल्कि मुंबई में एक विशेष नामित अदालत में मुकदमा चलाया जा सकता है। “जिस क्षेत्र में संपत्ति प्राप्त हो या प्राप्त की जाती है या यहां तक कि आयोजित या छुपाया जाता है, वह क्षेत्र होगा, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया जाता है।”

इस पर शीर्ष अदालत ने कहा, “रिकॉर्ड पर दी गई दलीलों से हम (1) उन व्यक्तियों की संख्या, जिन्होंने धन प्रदान किया था, और (2) उन स्थानों की पहचान करने में सक्षम नहीं हैं, जहां दानकर्ता मौजूद थे।” कइस मामले में क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के सवाल पर उस जगह के तथ्य के सवाल की जांच की जरूरत है, जहां अपराध की कथित कार्यवाही की गई थी। तथ्य का यह सवाल वास्तव में उन सबूतों पर निर्भर करेगा जो ट्रायल कोर्ट के सामने सामने आते हैं।

पीठ ने कहा कि किसी एक या एक से अधिक प्रक्रियाओं या अपराध की आय से जुड़ी गतिविधियों में किसी व्यक्ति की संलिप्तता, मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध का गठन करती है। इन प्रक्रियाओं या गतिविधियों में शामिल हैं (1) छुपाई गई थी, (2) दखल, (3) अधिग्रहीत या (4) इस्तेमाल, (5) बेदाग संपत्ति के रूप में पेश करना या (6) बेदाग संपत्ति का दावा करना।

पीठ ने बताया कि एचडीएफसी बैंक, कोपरखैरने शाखा, नवी मुंबई, महाराष्ट्र में याचिकाकर्ता का बैंक खाता अंतिम गंतव्य है, जहां तक सभी धनराशि पहुंची है। इसलिए नवी मुंबई, महाराष्ट्र एक ऐसी जगह है, जहां धारा 3 में सूचीबद्ध छह अलग-अलग प्रक्रियाओं या गतिविधियों में से केवल एक को ही अंजाम दिया गया है। अन्य गतिविधि, यानी अपराध की आय का अधिग्रहण (यदि वे वास्तव में हैं) में हुई हैं। देश/दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोगों के ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करने के साथ वर्चुअल मोड में लेन-देन हुआ है।

पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील से सहमति जताई कि अधिकार क्षेत्र का सवाल रिट याचिका के माध्यम से नहीं उठाया जा सकता।

सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने तर्क दिया था कि अय्यूब को झुग्गी में रहने वालों, कोविड और असम में कुछ काम के लिए एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से पैसा मिला था, हालांकि उसने पैसे को डायवर्ट किया और इसे ‘व्यक्तिगत आनंद’ के लिए इस्तेमाल किया।

अय्यूब का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने तर्क दिया कि क्या उनके मुवक्किल को कानून द्वारा अधिकृत नहीं होने वाली प्रक्रिया से या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित किया जा सकता है? उन्होंने कहा कि ईडी ने नवी मुंबई के एक बैंक में उनके मुवक्किल के निजी बैंक खाते को कुर्क कर लिया है, जिसमें करीब एक करोड़ रुपये पड़े हुए थे। ग्रोवर ने जोर देकर कहा कि गाजियाबाद की अदालत के पास अपराध की सुनवाई करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि कथित कृत्य मुंबई में होने का दावा किया गया है।

मेहता ने तर्क दिया कि अय्यूब ने केटो पर तीन पहलुओं- झुग्गीवासियों, कोविड और असम में कुछ काम के लिए धन जुटाया था, जो एक क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है। उन्होंने कहा कि लगभग 1 करोड़ रुपये एकत्र किए गए और सावधि जमा में 50 लाख रुपये एक व्यक्तिगत खाते में स्थानांतरित कर दिए गए और पहला अभियान समाप्त होने के बाद उन्हें पैसे मिलते रहे। मेहता ने कहा, “हमने पाया कि पैसा डायवर्ट किया गया था..निजी आनंद के लिए इस्तेमाल किया गया..लोग यह जाने बिना करोड़ों रुपये दान कर रहे थे कि पैसा कहां जा रहा है..।” उन्होंने आगे कहा कि एजेंसी द्वारा गाजियाबाद की अदालत में एक अभियोजन शिकायत दायर की गई थी, जो उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से संबंधित थी, जहां से कई लोगों ने उनके क्राउडफंडिंग अभियान के लिए पैसे दान किए थे।

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