कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली अपारदर्शी है। वहीं जगदीप धनखड़ ने 1973 के ऐतिहासिक केशवानंद भारती के फैसले पर ही सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था।
SC declines to entertain appeal against remarks by Vice President, law minister on judiciary, Collegium
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा दायर उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ उनकी टिप्पणी पर कार्रवाई की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति एस.के. कौल ने याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा कि यह क्या है? आप यहां क्यों आए हैं? अदालत के पास इससे निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण है। इस टिप्पणी के साथ ही जस्टिस कौल ने उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने याचिका में दावा किया था कि रिजिजू और धनखड़ ने अपनी टिप्पणियों और आचरण से संविधान में विश्वास की कमी दिखाई। एसोसिएशन का कहना था कि रिजिजू और धनखड़ दोनों संवैधानिक पदों पर बैठे हैं और इसके लिए उन्होंने संविधान की शपथ ली है। ऐसे में उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट पर अनर्गल टिप्पणी संविधान का अपमान और पद का दुरुपयोग है।
गौरतलब है कि वर्तमान केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चला आ रहा है। इसी टकराव में रिजिजू ने कहा था कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली अपारदर्शी है। वहीं जगदीप धनखड़ ने 1973 के ऐतिहासिक केशवानंद भारती के फैसले पर ही सवाल उठाया था, जिसने बुनियादी ढांचे का सिद्धांत दिया था।