पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह नहीं बताया कि आसामान जितनी ऊंची महंगाई को जमीन पर लाने के लिए उनकी सरकार कौन-कौन से कदम उठा रही है। उन्होंने यह नहीं बताया कि वह कौन से कालखंड हैं, जिसमें उन्हें महंगाई डायन को काबू पाने में कामयाबी मिली थी।
PM Modi talked about inflation from the ramparts of the Red Fort, sprinkled salt on the wounds of the public?
देश में महंगाई ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। सब्जियों के दाम आसमना पर है। 60 रुपये किलो से लकर 100 रुपये किलो तक सब्जियां बिक रही हैं। आलमय यह है कि टमाटर 250 रुपये किलो के पार चला गया है। लोगों को अपना घर चलना मुश्किल हो गया है। आम लोग अपना घर कैसे चला रहे हैं, यह किसी से छिपा नहीं। लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने देश को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने महंगाई की बात की। महंगाई ने आम जनता का बजट बिगाड़कर रख दिया है, अपने संबोधन में यह बताने और इसका समाधान ढूंढने पर बात करने के बजया, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इस मुद्दे पर अनपी सरकार की पीठ थपथपा दी।
लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा, “महंगाई को नियंत्रित रखने के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। पिछले कालखंड की तुलना में हमें कुछ सफलता भी मिली है। लेकिन इतने से संतोष नहीं मान सकते। दुनया से हम बेहतर हैं, लेकिन हम इतने भर से नहीं रुक सकते। मुझे तो मरे देशवासियों को महंगाई की बोझ कम से कम हो, इस दिशा में और भी कदम उठाने हैं। हम उस कदम को उठा कर रहेंगे। मेरा प्रयास निरंlर जारी रहेगा।”
मोदी ने अपने संबोधन में यह नहीं बताया कि आसामान जितनी ऊंची महंगाई को जमीन पर लाने के लिए उनकी सरकार कौन-कौन से कदम उठा रही है। उन्होंने यह नहीं बताया कि वह कौन से कालखंड हैं, जिसमें उन्हें महंगाई डायन को काबू पाने में कामयाबी मिली थी, जिसका जिक्र उन्होंने अपने संबोधन में किया। क्योंकि साल 2014 से देश में महंगाई का क्या आलम यह भी किसी से छिपा नहीं है।
देश में महंगाई पर ये है ताजा रिपोर्ट
देश में हमंगाई की हकीकत यह है कि जुलाई महीने में फुटकर महंगाई बढ़कर 7.44 फीसदी पर आ गई है। महंगाई का यह 15 महीने का उच्चतम स्तर है। इससे पहले अप्रैल 2022 में महंगाई 7.79 फीसदी रही थी। खाने-पीने का सामान खासकर सब्जियां महंगी होने के कारण महंगाई बढ़ी है। जून में फुटकर महंगाई 4.81 फीसदी रही थी।
कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CFPI) जुलाई महीने में बढ़कर 11.51 फीसदी हो गया है। जून में यह 4.49% था। यह इंडेक्स खाने-पीने के सामान के दामों में बढ़ोतरी और उनमें कमी को दिखाता है। CPI बास्केट में लगभग आधी हिस्सेदारी खाने-पीने की चीजों की होती है। जुलाई में महंगाई आरबीआई के 6% की ऊपरी टॉलरेंस लिमिट के पार निकल गई है।