जागो रविदास के निधन की जानकारी मिलते ही उनके मुसलमान पड़ोसी आगे आए। उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार जागो रविदास की अर्थी सजाई गई और गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। उन्होंने “राम-नाम सत्य है” का घोष भी किया।
No one to carry the bier of the deceased Hindu, Muslim brothers performed the last rites with the name of Ram
झारखंड के गिरिडीह जिले के जमुआ में एक हिंदू बुजुर्ग की मौत के बाद अर्थी उठाने वाला कोई नहीं था। ऐसे में उनके गांव के ही कई मुसलमान भाई आगे आए और उन्होंने “राम-नाम सत्य है” के घोष के साथ अर्थी उठाई और पूर रीति-रिवाज के साथ बुजुर्ग का अंतिम संस्कार किया। इस भाईचारे की पहल की इलाके में खूब चर्चा हो रही है।
गांव में अकेला हिंदू परिवार
दरअसल, जमुआ प्रखंड मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर दूर काजीमगहा गांव में 30 से 35 मुस्लिम परिवारों के बीच केवल एक हिंदू परिवार रहता है. इस परिवार के 90 वर्षीय जागो रविदास का बुधवार को देहांत हो गया. उनकी 85 वर्षीय पत्नी रधिया देवी घर में अकेली हैं. उनकी कोई संतान नहीं है.
दरअसल, जमुआ प्रखंड मुख्यालय से करीब दो किलोमीटर दूर काजीमगहा गांव में 30-35 मुस्लिम परिवारों के बीच केवल एक हिंदू परिवार रहता है। इस परिवार के 90 वर्षीय जागो रविदास का बुधवार को देहांत हो गया। उनकी 85 वर्षीय पत्नी रधिया देवी घर में अकेली हैं। उनकी कोई संतान नहीं है।
जागो रविदास के निधन की जानकारी मिलते ही उनके मुसलमान पड़ोसी आगे आए। उन्होंने हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार जागो रविदास की अर्थी सजाई गई और गाजे-बाजे के साथ अंतिम यात्रा निकाली गई। उन्होंने “राम-नाम सत्य है” का घोष भी किया। जागो रविदास चाहते थे कि उनका शव जलाने के बजाय दफनाया जाए। गांव के लोगों ने ऐसा ही किया।
गांव के अबुजर नोमानी ने कहा कि जागो रविदास गांव के सबसे उम्रदराज लोगों में से एक थे। उनका हम सब सम्मान करते थे। उनकी इच्छा के अनुसार ही उनका अंतिम संस्कार किया गया। जागो रविदास की अंतिम यात्रा में असगर अली, जमालुद्दीन खान, इनामुल हक, जमीरुद्दीन खान, नजमुल हक, नुरुल सिद्दिकी आदि शामिल रहे।