गुजरात के मोरबी में पुल गिरने से हुए दर्दनाक हादसे में अब तक 130 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। इस हादसे में बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई है।
Morbi bridge collapse toll mounts to 141; many missing, search continues in river
Morbi cable bridge collapse incident | I express my condolences to the families of the citizens who lost their lives in the tragedy. The state government will provide Rs 4 lakhs to the family of each deceased & Rs 50,000 to the injured, tweets Gujarat CM Bhupendra Patel
गुजरात के मोरबी में केबल पुल टूटने से महिलाओं और बच्चों सहित 141 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। जबकि कई लोग अब भी लापता है। अब भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अधिकारियों के अनुसार हादसे में मरने वालों की संख्या और भी बढ़ सकती है।
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की पांच टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। इसकेअलावा वायुसेना और नौसेना की भी दो टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को नदी से निकालने के लिए नावों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, हम नावों की मदद से बचाव कार्य कर रहे हैं।
इस घटना पर गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने जानकारी दी है कि अब तक कुल 132 लोगों की मृत्यु इस हादसे में हुई है। नेवी,NDRF, वायुसेना और सेना तेजी से पहुंच गई, पूरी रात (खोज और बचाव कार्यों के लिए) 200 से अधिक लोगों ने काम किया है।
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वहीं गुजरात सरकार ने मोरबी शहर में पुल गिरने की घटना की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने स्थानीय मीडिया को बताया है कि अब तक 45 बच्चों के शव बरामद किए जा चुके हैं। मरने वालों की कुल संख्या का करीब 70 फीसदी है। मोरबी के सरकारी अस्पताल ने 47 मृतकों की सूची जारी की है।
दूसरी ओर नगर पालिका आयुक्त राजकुमार बेनीवाल जांच पैनल का नेतृत्व करने जा रहे हैं। मोरबी के लिए रवाना होने से पहले, उन्होंने स्थानीय मीडिया से कहा, “टीम के सभी सदस्य रविवार को त्रासदी स्थल पर पहुंचेंगे और जांच शुरू करेंगे। टीम का पहला काम निलंबन पुल के ढहने के कारण का पता लगाना और निष्कर्षो के आधार पर पता लगाना है। भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए एसआईटी सुझाव भी देगी।”
उन्होंने कहा कि चार तकनीकी विशेषज्ञ हैं जो टीम का हिस्सा हैं, जो संरचनात्मक डिजाइन और गुणवत्ता नियंत्रण में अच्छे हैं, और पुल के नमूने एकत्र करेंगे और साथ ही इसकी गुणवत्ता की जांच की जाएगी कि उचित मानक बनाए रखा गया था या नहीं।
बेनीवाल ने कहा कि ठेकेदार इंजीनियर का बयान दर्ज किया जाएगा और विभिन्न प्रमाणपत्रों के दस्तावेज बरामद किए जाएंगे, यह जानने के लिए कि क्या हर स्तर पर गुणवत्ता की मंजूरी ली गई थी और सामग्री परीक्षण के लिए भेजी गई थी या नहीं। उन्होंने कहा कि ब्रिज डिजाइनर का सर्टिफिकेट भी मांगा जाएगा, चाहे उसे किसी सरकारी एजेंसी ने मंजूरी दी हो या नहीं।
सरकार ने जांच पूरी करने और रिपोर्ट जमा करने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी है, लेकिन अधिकारी ने कहा कि उनका उद्देश्य जल्द से जल्द जांच पूरी करना और राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपना है।
अधिकारियों ने कहा- एक सदी पुराना था मोरबी केबल पुल
अधिकारियों के अनुसार यह पुल करीब एक सदी पुराना था और मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य के बाद हाल ही में इसे जनता के लिए खोला गया था। अधिकारियों ने कहा कि जनता के लिए चार दिन पहले ही फिर से खोले गए इस पुल पर लोगों की काफी भीड़ थी। उन्होंने बताया कि पुल शाम करीब साढ़े छह बजे टूट गया।
बता दें कि मोरबी में मच्छू नदी पर बने इस हैंगिंग ब्रिज (केबल पुल) का निर्माण मोरबी राजवंश के शासन सर वाघाजी ठाकोर ने लगभग 150 साल पहले करवाया था, जिसकी लंबाई 233 मीटर थी और यह 4.6 फीट चौड़ी थी।