सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया है। 5 में 3 जजों ने ईडब्ल्यूएस के पक्ष में राय दी है।
Majority bench – Justices Dinesh Maheshwari, Bela Trivedi and JB Pardiwala uphold the #EWS amendment.
सुप्रीम कोर्ट ने आज EWS कोटे में 10 प्रतिशत रिजर्वेशन के मुद्दे पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया है। 5 में 3 जजों ने ईडब्ल्यूएस के पक्ष में राय दी है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटा संविधान के खिलाफ नहीं है। इसका मतलब है कि देश में EWS आरक्षण जारी रहेगा।
फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी याचिकाएं
आपको बता दें, साल 2019 में सरकरा ने सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10 प्रतिशत का आरक्षण देने का फैसला लिया गया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में 30 से ज्यादा याचिकाएं डाली गई थीं, जिस पर 27 सितंबर को सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
तमिलनाडु की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नफाड़े ने ईडब्ल्यूएस कोटा का विरोध करते हुए कहा था कि आर्थिक मानदंड वर्गीकरण का आधार नहीं हो सकता है और शीर्ष अदालत को इंदिरा साहनी (मंडल) फैसले पर फिर से विचार करना होगा यदि वह इस आरक्षण को बनाए रखने का फैसला करता है। दूसरी ओर, तत्कालीन अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने संशोधन का पुरजोर बचाव करते हुए कहा था कि इसके तहत प्रदान किया गया आरक्षण अलग है तथा सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) के लिए 50 प्रतिशत कोटा से छेड़छाड़ किए बिना दिया गया। उन्होंने कहा था कि इसलिए संशोधित प्रावधान संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है।
न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी ने अपने फैसले में कहा कि आर्थिक मापदंड को ध्यान में रखते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे या समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता। उन्होंने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटे की 50 प्रतिशत की सीमा सहित संविधान की किसी भी आवश्यक विशेषता को क्षति नहीं पहुंचाता, क्योंकि कोटे की सीमा पहले से ही लचीली है।
न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने न्यायमूर्ति माहेश्वरी के विचारों से सहमत होते हुए कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण वैध है। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति भट ने पीठ के अन्य तीन न्यायाधीशों के फैसलों से असहमति जताई।
मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित और न्यायमूर्ति भट ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण भेदभावपूर्ण और संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।
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