हत्यारोपित एक किशोर को जमानत प्रदान करते हुए बांबे हाई कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ इसलिए कि किशोर पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया है उसे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम के प्रविधानों के लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता।
Juvenile To Be Tried As Adult Can Seek Benefit Of Juvenile Justice Act: High Court
मुंबई: हत्यारोपित एक किशोर को जमानत प्रदान करते हुए बांबे हाई कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ इसलिए कि किशोर पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया है, उसे किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम या जेजे एक्ट के प्रविधानों के लाभों से वंचित नहीं किया जा सकता। जस्टिस भारती डांगरे की एकल पीठ ने 21 अक्टूबर को हत्या के मामले में 2020 में बोरीवली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किशोर को जमानत प्रदान कर दी।
अपराध के समय 17 साल का था आरोपित
मालूम हो कि अपराध के समय आरोपित 17 वर्ष का था। उसने जेजे एक्ट की धारा-12 के तहत जमानत की मांग की थी। बच्चों की विशेष अदालत ने इस आधार पर उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी कि जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने उस पर बालिग की तरह मुकदमा चलाने का निर्देश दिया है इसलिए वह जेजे एक्ट के प्रविधानों के लाभों की मांग नहीं कर सकता।
लाभ ने नहीं किया जा सकता वंचित
उच्च न्यायालय ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया और कहा कि आरोपी पर वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया गया था हालांकि फिर भी वह नाबालिग था। न्यायमूर्ति डांगरे ने इस दौरान कहा कि उस पर वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया तो केवल इसलिए उसे किशोर न्याय कानून की धारा 12 के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता है।
विवाद के बाद की थी साथी की हत्या
अभियोजन के अनुसार, 12 मार्च 2020 को युवक ने अपने दोस्त के साथ मिलकर अपने ही एक साथी की हत्या कर दी थी जिसके साथ उनका विवाद हुआ था।पुलिस ने उसकी जमानत याचिका का विरोध करते हुए दलील दी कि अपराध के वक्त वह 17 साल 11 महीने और 24 दिन का था तथा अपने कृत्य के अंजाम को समझने के लिए मानसिक रूप से परिपक्व था।