INDIA गठबंधन ने ‘नफरती एंकरों’ के कार्यक्रमों का किया बहिष्कार, नहीं होंगे प्रोग्राम में शामिल – देखें लिस्ट…

admin

INDIA alliance decides to boycott shows of 14 TV anchors for conducting hate-filled debates; list released

INDIA alliance decides to boycott shows of 14 TV anchors for conducting hate-filled debates; list released
INDIA alliance boycott shows of 14 TV anchors

INDIA गठबंधन ने ऐसे 14 टीवी न्यूज एंकर्स की सूची जारी की है, जिनके कार्यक्रमों में विपक्षी गठबंधन में शामिल कोई भी दल अपने नेता या प्रवक्ता को नहीं भेजेंगे। इस सूची के सामने आते ही मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

INDIA alliance decides to boycott shows of 14 TV anchors for conducting hate-filled debates; list released

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अतीत में किस तरह करन थापर और रवीश कुमार जैसे पत्रकारों का बहिष्कार कर चुके हैं, इसे याद दिलाते हुए विपक्षी गठबंधन के एक नेता ने दावा किया कि विभिन्न न्यूज चैनलों के 14 एकंर्स के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का फैसला भारी मन से लेना पड़ा है। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे मौजूदा सरकार ने प्रणय रॉय के स्वामित्व में एनडीटीवी और न्यूज वेबसाइट्स न्यूजक्लिक और द क्विंट को कैसे परेशान किया गया था। उन्होंने कहा कि वैसे न्यूज एंकर्स का बहिष्कार न तो नया है और न ही अनोखा। लेकिन जब पानी सिर से ऊपर हो गया तो यह कदम उठाना पड़ा है।

इसी फैसले के साथ एंकर्स की सूची को कांग्रेस के मीडिया एंड पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के प्रमुख पवन खेड़ा ने शेयर किया।

जिन एंकर्स के बहिष्कार का ऐलान किया गया है, उनकी सूची इस तरह है:

  • अदिति त्यागी – भारत एक्सप्रेस
  • अमन चोपड़ा – न्यूज 18 इंडिया
  • अमीश देवगन – न्यूज 18 इंडिया
  • आनंद नरसिम्हन – सीएनएन-न्यूज 18
  • अर्णब गोस्वामी – रिपब्लिक
  • अशोक श्रीवास्ताव – दूरदर्शन न्यूज
  • चित्रा त्रिपाठी – आजतक
  • गौरव सावंत – इंडिया टुडे टीवी
  • नविका कुमार – टाइम्स नाउ
  • प्राची पाराशर – इंडिया टीवी
  • रुबिका लियाकत – भारत 24
  • शिव अरूर – इंडिया टुडे टीवी
  • सुधीर चौधरी – आजतक
  • सुशांत सिन्हा – टाइम्स नाउ नवभारत

इसी फैसले के पवन खेड़ा ने सोशल मीडिया पर एक छोटा वीडियो भी शेयर किया। उन्होंने वीडियो में कहा कि “रोज़ शाम पाँच बजे से कुछ चैनल्स पर नफ़रत का एक बाजार सजाया जाता है। पिछले नौ साल से यह लगातार चल रहा है। उस बाजार में अलग-अलग पार्टियों के नेता जाते हैं, कुछ विशेषज्ञ जाते हैं, कुछ विश्लेषक जाते हैं, लेकिन हम सब नफरत के उस बाजार में ग्राहक बनकर जाते हैं। हमें नफरत मुक्त भारत की दिशा में एक कदम उठाना था। आज एक निर्णय लिया गया, कुछ एंकर्स को चिह्नित किया जाए, उनके शोज़ में, इवेंट्स में हम लोग न जाएं, जिससे एक सशक्त कदम उठाया जाए। हम इस नफरत के बाजार के हिस्सेदार नहीं बनना चाहते तो हमारे समाज को दूषित कर रहा है। आप हमारे नेताओं के खिलाफ हमारे नेताओं के ख़िलाफ़ अनर्गल टिप्पणियाँ, फेक न्यूज़ आदि से हम लड़ते आएँ हैं और लड़ते रहेंगे लेकिन समाज में नफ़रत नहीं फैलने देंगे। बड़े भारी मन से निर्णय लिया। हम इनमें से किसी से भी नफरत नहीं करते, हमें भारत से मुहब्बत है, इसीलिए नफरत की दुकान को बंद करने का निर्णय लिया।”

इंडिया अलायंस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अंतत: ने ऐसे एंकर्स की सूची बनानी पड़ी जो ‘नफरत फैलाते हैं, फेक न्यूज दिखातें और समाज में सांप्रयादिकता का वायरस फैलाते हैं।’ वैसे एंकर्स के इस तरह के व्यवहार के तमाम उदाहरण सार्वजनिक हैं।

पवन खेड़ा ने अपने वीडियो में हालांकि उम्मीद जताई कि ये एंकर्स खुद ही अपने आप को बदलेंगे और समय बदलेगा। उन्होंने एक तरह से संकेत दिया कि वक्त आने पर इस सूची की समीक्षा कर इसमें बदलाव किया जा सकता है।

और, जैसा कि अपेक्षा थी, बीजेपी ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने तो पूरे विपक्ष और खासतौर से कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह मीडिया को खामोश करने की कोशिश है।

लेकिन भाजपा की प्रतिक्रिया पर तुरंत ही विपक्ष ने भी जवाब दिया। विपक्ष ने तमाम ऐसे उदाहरण सामने रख दिए जब इन एंकर्स ने गैर जिम्मेदारना रवैया दिखाया।

इसके अलावा हाल ही की घटना की भी याद दिलाई गई कि कैसे एनडीटीवी के मुंबई ब्यूरो चीफ को कथित तौर पर अडानी के स्वामित्व वाले चैनल ने राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेंस में गड़बड़ी करने को कहा था। इस आदेश के न मानते हुए ब्यूरो चीफ सोहित मिश्रा ने इस्तीफा दे दिया था।

अभी दो दिन पहले ही कांग्रेस सोशल मीडिया इंचार्ज सुप्रिया श्रीनेत ने एक पत्रकार के इस सवाल का जवाब दिया था कि वे किन पत्रकारों को चरणचुंबक कहती हैं। इस पर सुप्रिया ने जवाब दिया था कि जिन पत्रकारों में इतनी हिम्मत नहीं है कि वे सच्चे सवाल पूछ सकें वे चरण चुंबक हैं, जबकि बहुत से पत्रकार हैं जो सच के साथ हैं, और वे उनका सम्मान करती हैं।

हाल के वर्षों में न्यूज एंकर्स और विपक्षी दलों के नेताओं या प्रवक्ताओं के बीच रिश्तों में काफी खटास आई है। विपक्ष लगातार इस बात को उठाता रहा है कि न्यूज चैनल जानबूझकर ऐसे विषयों पर डिबेट करते हैं जो सरकार के पक्ष या सरकारी पीआर प्रोफेशनल द्वारा तय किए गए होते हैं। इन डिबेट में ऐसे लोगों को विश्लेषक के तौर पर शामिल किया जाता है जो दरअसल सरकार का पक्ष लेते हैं और विपक्ष की आवाज को दबाने का काम करते हैं।

वैसे विपक्ष के इस फैसले से सभी लोग प्रसन्न नहीं हैं। वरिष्ठ पत्रकार सुहासिनी हैदर ने लिखा है कि “यह दुख की बात है कि विपक्ष न्यूज एंकर्स की ग्रेडिंग करने में वक्त गंवा रहा है। जरूरत तो इस बात कि है पारदर्शिता और मीडिया की उन तक पहुंच हो जो सत्ता में हैं।”

फैक्टचेकर और आल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने ऐसे कुछ डिबेट के स्क्रीन शॉट शेयर करके बताया कि आखिर इन एंकर्स का बहिष्कार करना क्यों जरूरी था।

इसी तरह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे पंकज पचौरी ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि, “यह मीडिया के लिए एक दुखद दिन है। यह मीडिया मालिकों की नाकामी है जो इस कारोबार में यह जानते हुए आए थे कि भरोसा ही उनकी सबसे बड़ी पूंडी है। भरोसा उद्देश्यता का, समान अवसर देने का और अभिव्यक्ति की आजादी का। लेकिन यह भरोसा बुरी तरह टूट चुका है।”

Follow Us on… Dailyhunt kootwitter fb GOOGLE NEWS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

BJP नेता ने फर्जी चेक देकर हड़पी साढ़े छह करोड़ की जमीन, 9 सितंबर को किसान ने कर ली थी आत्महत्या; सपा हमलावर

BJP leader grabbed land worth six and a half crores from a farmer by giving fake cheque, Akhilesh fire questions
BJP leader grabbed land worth six and a half crores from a farmer by giving fake cheque, Akhilesh fire questions

You May Like

error: Content is protected !!