हिमाचल ने 51 साल पुराने कानून में किया संशोधन, बेटियों को दिया समान अधिकार
Himachal amends 51-year-old law, provides equitable rights to daughters
हिमाचल: मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने मंगलवार को कहा कि, 51 साल पुराने कानून, हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग्स एक्ट, 1972 में संशोधन करके लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की पहल, बालिग बेटी (विवाहित और अविवाहित) को भूमि के समान अधिकार प्रदान करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय है। संशोधन के अनुसार, बालिग बेटी को 150 बीघा भूमि तक एक अलग स्वतंत्र इकाई रखने की अनुमति होगी। राज्य सरकार ने मौजूदा अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा 4 में ‘बेटा’ शब्द के बाद ‘या बेटी’ शब्द जोड़कर त्रुटि को सुधारा है।
लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने 51 वर्ष पुराने ‘हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम-1972’ ‘हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट 1972’ में संशोधन किया है। इस ऐतिहासिक निर्णय से अब पैतृक सम्पत्ति में वयस्क बेटी (विवाहित और अविवाहित) को भी एक अलग इकाई (150 बीघा भूमि तक) माना जाएगा। राज्य सरकार ने मौजूदा अधिनियम की धारा 4 की उप-धारा 4 में ‘पुत्र’ शब्द के बाद ‘या पुत्री’ शब्द सम्मिलत कर त्रुटि को सही किया है।
इस संशोधन के उपरांत बेटी को बेटे के समान एक अलग इकाई के रूप में शामिल किया गया है। इससे पहले, इस अधिनियम में एक वयस्क पुत्र को अलग इकाई के रूप में अतिरिक्त 150 बीघा भूमि तक का प्रावधान था जबकि वयस्क पुत्री को इस समान अधिकार से वंचित रखा गया था।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर प्रदेश विधानसभा में 29 मार्च, 2023 को यह संशोधन विधेयक प्रस्तुत किया गया और लैंगिक समानता सुनिश्चित करते हुए 3 अप्रैल, 2023 को इसे पारित कर दिया गया। इससे पैतृक सम्पति में पुत्र और पुत्री दोनों को ही स्वतंत्र इकाई मानते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित की गई है।
यह विधेयक भारतीय संविधान के प्रावधानों के अनुरूप लैंगिक असमानता को दूर करने का मार्ग प्रशस्त करता है। मुख्यमंत्री ने इस विषय में विशेष रूचि दिखाते हुए राज्य विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में इस संशोधन विधेयक को प्रस्तुत करने की पहल की। प्रदेश सरकार के इस कदम का समाज के सभी वर्गों ने स्वागत करते हुए इसे राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक सकारात्मक पहल करार दिया है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार ने आवश्यक संशोधन कर पुत्रियों वाले लाखों परिवारों को राहत प्रदान करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन का उद्देश्य लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने वाले असंवैधानिक खंडों को हटाकर बेटियों को पैतृक सम्पत्ति के भू-स्वामित्व में समान अधिकार सुनिश्चित करना है।