हिमाचल: शिमला की आपदा के लिए भूवैज्ञानिक ने NHAI को बताया जिम्मेदार

admin

Geologist’s big statement on Shimla’s disaster, told- who is responsible for the devastation

Geologist’s big statement on Shimla’s disaster, told- who is responsible for the devastation
Geologist’s big statement on Shimla’s disaster, told- who is responsible for the devastation

भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने आपदा के लिए भारतीय राष्ट्री या राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को जिम्मेदार ठहराया है। भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर सड़कों को चौड़ा करने बहुत ज्यादा जरूरत थी तो सड़कों का अलाइनमेंट बदला जा सकता था।

Geologist’s big statement on Shimla’s disaster, told- who is responsible for the devastation

हिमाचल प्रदेश में बारिश के बीच भूस्खलन से भारी तबाही मची है। भूधंसाव से दर्जनों सड़कें बंद हो गई हैं। कई मकान जमींदोज हो गए हैं। इनमें दबकर अब तक 70 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। एनडीआरएफ के अनुसार, प्रदेश में बचाव अभियान के लिए केंद्रीय बल की 29 टीमें तैनात की गई हैं। इनमें 14 टीमें सक्रिय हैं। बाकी टीमों को तैयार रखा गया है। इसके अलावा एसडीआरएफ, सेना, वायुसेना, पुलिस और स्थानीय अधिकारी प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान चला रहे हैं।

हिमाचल में आपदा के बीच राष्ट्री या राजमार्ग 5 के साथ कालका-शिमला सड़क का 40 किलोमीटर लंबा हिस्सा, परवाणु-सोलन मार्ग के कई हिस्से भूस्खलन की चपेट में आकर तबाह हो गए हैं। सवाल यह है कि इतनी बड़ी तबाही के लिए जिम्मदार कौन है? भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का इस संबंध में बड़ा बयान आया है।

भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने आपदा के लिए भारतीय राष्ट्री या राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को जिम्मेदार ठहराया है। भूवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर सड़कों को चौड़ा करने बहुत ज्यादा जरूरत थी तो सड़कों का अलाइनमेंट बदला जा सकता था या वहां सुरंगों का निर्माण किया जा सकता था।

इंडियन एक्सप्रेस से पंजाब विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग में मानद प्रोफेसर और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक ओम भार्गव ने कहा कि पहाड़ों की ऊर्ध्वाधर कटाई ने ढलानों को अस्थिर कर दिया है। बारिश हो या न हो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। देर-सबेर, यह ढलानें तो संतुलन स्थापित करती है। इसके लिए वह नीचे की ओर ही खिसक जाती हैं।

ओम भार्गव ने आगे कहा कि कहा कि वर्टिकल कटिंग का मतलब है कि पहाड़ का ढलान 90 डिग्री के बेहद करीब हो जाता है, जबकि भूवैज्ञानिकों के अनुसार, ढलान 60 डिग्री से कम होना चाहिए। उन्होंने ने कहा कि यही वजह है कि राजमार्ग के ढलानों पर लगातार पत्थरों की बारिश हो रही है। ऐसे में राजमार्ग की एक लेन पर यातायात बाधित हो रहा है।

Follow Us on… Dailyhunt kootwitter fb GOOGLE NEWS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

उत्तराखंड: देहरादून के सुसवा नदी पर बना पुल पर पड़ी दरारें, आवाजाही ठप

Disaster rains in Uttarakhand, Dehradun’s Bullawala bridge over Suswa river damaged, break on traffic
Disaster rains in Uttarakhand, Dehradun’s Bullawala bridge over Suswa river damaged, break on traffic

You May Like

error: Content is protected !!