पुरुषों के यौन उत्पीड़न पर सजा खत्म, नाबालिग से गैंगरेप पर सजा-ए-मौत, IPC-CrPC की जगह लेंगे नए कानून!

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From gender neutral offences to death penalty for gangrape: Govt bid to replace British-era laws

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From gender neutral offences to death penalty for gangrape: Govt bid to replace British-era laws

गृहमंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक पेश किया। ये तीनों विधेयक भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया अधिनियम और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

From gender neutral offences to death penalty for gangrape: Govt bid to replace British-era laws

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में 1860 में बने आईपीसी, 1898 में बने सीआरपीसी और 1872 में बने इंडियन एविडेंस एक्ट को गुलामी की निशानी बताते हुए इन तीनों विधेयकों की जगह लेने वाले तीन नए विधेयक- भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को पेश किया। शाह के अनुरोध पर तीनों बिलों को स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया है।

अमित शाह ने इन तीनों बिलों को सदन में पेश करते हुए कहा कि ब्रिटिश काल में अंग्रेजों की संसद द्वारा बनाए गए कानूनों का उद्देश्य दंड देना था जबकि इन तीनों बिलों का उद्देश्य न्याय देना है। उन्होंने इन कानूनों से भारतीय न्यायिक व्यवस्था और दंड व्यवस्था में आमूल चूल बदलाव का दावा करते हुए कहा कि चार साल के गहन विचार विमर्श के बाद ये तीनों बिल लाए गए हैं।

अमित शाह ने कहा कि भारतीय न्याय संहित विधेयक में राजद्रोह के प्रावधान को निरस्त कर दिया गया है और मॉब लिंचिंग और महिलाओं और नाबालिगों से बलात्कार जैसे अपराधों के लिए अधिकतम सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें नाम बदल कर यौन शोषण करने वालों के खिलाफ सजा तय किया गया है और दोषियों की संपत्ति कुर्की का भी प्रावधान किया गया है, विधेयक में छोटे अपराधों के लिए दंड के रूप में पहली बार सामुदायिक सेवा प्रदान करने का प्रावधान रखा गया है। इसके साथ ही चुनाव संबंधी अपराधों पर भी कानून लाया गया है, इसमें चुनाव में मतदाताओं को रिश्वत देने पर एक साल की कैद का प्रावधान है।

रेप और नाबालिग से गैंगरेप पर कठोर सजा

नए विधेयक में रेप के मामलों में न्यूनतम सज़ा 7 साल से बढ़ाते हुए 10 साल कर दी गई है। नाबालिग के साथ बलात्कार के मामले में सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया। नए कानून के तहत नाबालिग से गैंगरेप पर मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है। रेप के कानून में नया प्रावधान शामिल किया गया है जो परिभाषित करता है कि विरोध न करने का मतलब सहमति नहीं है। इसके अलावा गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखते हुए सजा का प्रावधान किया गया है। रेप पीड़ित की पहचान को बचाने के लिए नया कानून बनाया गया है।

पुरुषों के यौन उत्पीड़न के खिलाफ कानून खत्म

नए विधेयक में अप्राकृतिक यौन अपराध की धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। लिहाजा पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए अब कोई कानून नहीं है। आईपीसी की धारा 377 के तहत जो कोई भी किसी भी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाता है, तो उसे आजीवन कारावास या 10 साल के कारावास की सजा या जुर्माना की सजा हो सकती थी। लेकिन नए कानून के तहत अब पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं है।

आतंकवाद के खिलाफ मौत की सजा

नए विधेयक में बच्चों के विरुद्ध अपराधों के लिए नया चैप्टर शामिल किया गया है। इसमें परित्याग, बच्चे के शरीर का निपटान और बाल तस्करी आदि शामिल हैं। लापरवाही से मौत की सजा 2 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है। संगठित अपराध के खिलाफ नए कानून का प्रावधान किया गया है। इसमें किसी की मृत्यु होती है तो मृत्युदंड की सजा होगी। आतंकवाद के खिलाफ नए कानून में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है।

राजद्रोह के स्थान पर नया कानून

नए विधेयक में राजद्रोह को ‘भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य’ के रूप में परिभाषित किया गया है और इसके लिए न्यूनतम सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है। बता दें कि राजद्रोह के कानून के स्थान पर नया कानून लाया गया है, जिसमें अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, अलगाववादी गतिविधियों और विध्वंसक गतिविधियों या भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को शामिल किया गया है। नए कानून के तहत भारत में सजा के नए रूप में सामुदायिक सेवा की शुरुआत की गई है।

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