बिलकिस बानो केस में SC ने निरस्त की दोषियों की रिहाई, न्याय की जगी उमीद, बिलकिस बानो के घर के बाहर पटाखे फोड़े गए

admin

Firecrackers being burst outside the residence of Bilkis Bano in Devgadh Baria, Gujarat.

Firecrackers being burst outside the residence of Bilkis Bano in Devgadh Baria, Gujarat.
Firecrackers being burst outside the residence of Bilkis Bano in Devgadh Baria, Gujarat.

बिलकिस बानो केस में SC ने निरस्त की दोषियों की रिहाई, न्याय की जगी उमीद, बिलकिस बानो के घर के बाहर पटाखे फोड़े गए

Firecrackers being burst outside the residence of Bilkis Bano in Devgadh Baria, Gujarat.

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कोर्ट खुलने के साथ अहम फैसला सुनाते हुए गुजरात दंगों की पीड़ित बिलकिस बानो से गैंगरेप के दोषियों की रिहाई को खारिज कर दिया है. इस मामले में दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा कम करते हुए रिहा कर दिया था. क्या था ये मामला जिसने पूरे देश में तहलका मचा दिया था. इसके बाद जब इसके दोषी जेल से जल्दी रिहा किए गए तो भी ये सुर्खियां बना. जानते हैं कि क्या था ये मामला.

दरअसल गुजरात में वर्ष 2002 में दंगा हुआ. तभी बिलकिस बानो से नृशंस गैंगरेप तो हुआ ही, साथ ही उसके परिवार के 07 लोगों की आंखों के सामने ही हत्या कर दी गई. इसके बाद दोषियों को आजीवन कारावास की सजा हुई. मुंबई में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी. फिर बॉम्बे हाई कोर्ट ने भी इस सज़ा पर मुहर लगाई.

गुजरात सरकार ने 2022 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. ये रिहाई गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत की गई. जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़वाडिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चांदना को गोधरा उप कारागर से रिहा कर दिया गयाजिस पर देश में विवाद छिड़ गया. इसे लेकर जगह जगह प्रदर्शन हुए.

कितनी उम्र कैद की सजा और इस मामले में क्या हुआ

दरअसल, उम्र क़ैद की सज़ा पाए क़ैदी को कम से कम 14 साल जेल में बिताने होते हैं. 14 साल के बाद इस फ़ाइल का फिर रिव्यू होता है. उम्र, अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार वगैरह के आधार पर सज़ा घटाई जा सकती है.कई बार क़ैदी को रिहा कर दिया जाता है. कई बार ऐसा नहीं होता. कई बार क़ैदी को गंभीर रूप से बीमार होने के आधार पर भी छोड़ा जाता है. हालांकि इस प्रावधान के तहत हल्के जुर्म के आरोप में बंद क़ैदियों को छोड़ा जाता है. संगीन मामलों में ऐसा नहीं होता.

बिलकिस बानो के साथ क्या हुआ था

27 फ़रवरी 2002 को ‘कारसेवकों’ से भरी साबरमती एक्सप्रेस के कुछ डिब्बों में गोधरा के पास आग लगा दी गई थी. इसमें 59 लोगों की मौत हुई. इसकी प्रतिक्रियास्वरूप गुजरात में दंगे भड़क उठे. दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस बानो साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और 15 लोगों के साथ गांव से भाग गई.तब वह 05 महीने की गर्भवती भी थी.

03 मार्च 2002 को बिलकिस का परिवार छप्परवाड़ गांव पहुंचा. वहां वो खेतों में छिप गये. लेकिन उन्हें खोज लिया गया. दायर चार्ज़शीट के मुताबिक़ 12 लोगों समेत करीब 30 लोगों ने लाठियों और जंजीरों से बिलकिस और उसके परिवार पर हमला किया.

बिलकिस और 04 महिलाओं की पहले पिटाई की गई. फिर उनके साथ रेप किया गया. इनमें बिलकिस की मां भी शामिल थीं. हमलावरों ने परिवार के कई लोगों उनके आंखों के सामने हत्या भी कर दी. हमले में 07 मुस्लिम भी मारे गए. ये सभी बिलकिस के परिवार के सदस्य थे. मरने वालों में बिलकिस की बेटी भी शामिल थीं.

03 घंटे तक बेहोश रही बिलकिस

इस घटना के बाद बिलकिस कम से कम तीन घंटे तक बेहोश रहीं. होश आने पर उसने एक आदिवासी महिला से कपड़ा मांगा. फिर एक होमगार्ड से मिली, जो उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए लिमखेड़ा थाने ले गया. वहां कांस्टेबल सोमाभाई गोरी ने शिकायत दर्ज की. बाद में गोरी को अपराधियों को बचाने के आरोप में 03 साल की सज़ा मिली.

रिलीफ कैंप पहुंचाया गया

बिलकिस को गोधरा रिलीफ़ कैंप पहुंचाया गया और वहां से मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया. उनका मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुंचा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया.

पुलिस ने केस को खारिज कर दिया था

जब पुलिस ने इसकी जांच शुरू की तो उसने सबूतों के अभाव में केस ख़ारिज कर दिया. फिर ये मामला मानवाधिकार आयोग के पास गया. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई. देश की सर्वोच्च अदालत ने सीबीआई से नए सिरे से जांच का आदेश दिया. सीबीआई चार्ज़शीट में 18 लोगों को दोषी पाया गया. इनमें 05 पुलिसकर्मी समेत दो डॉक्टर भी थे. पुलिस और डॉक्टर पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप लगा.

बार-बार जान से मारने की धमकियां मिलीं

बिलकिस बानो को कोर्ट में सुनवाई और सीबीआई जांच के दौरान बार बार जान से मारने की धमकियां मिलीं. उसने दो साल में 20 बार घर बदले.उसने सुप्रीम कोर्ट से अपना केस गुजरात से बाहर किसी दूसरे राज्य में शिफ़्ट करने की अपील की. मामला मुंबई कोर्ट भेज दिया गया. सीबीआई की विशेष अदालत ने जनवरी 2008 में 11 लोगों को दोषी क़रार दिया. 07 को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया.

Follow Us on… Dailyhunt kootwitter fb GOOGLE NEWS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दिल्ली में दरिंदगी, मामूली बात पर व्यक्ति को घसीटा, फिर चाकू से गोदकर की हत्या

Delhi Shocker: Man Dragged, Stabbed Multiple Times After Heated Argument
Delhi Shocker: Man Dragged, Stabbed Multiple Times After Heated Argument

You May Like

error: Content is protected !!