ड्रैगन ने फिर दिखाई लाल आँख लद्दाख में पैंगोंग झील के पास कर रहा खुदाई, US की तस्वीरों से खुला राज

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China Digs In: Satellite Images Reveal Construction Of Underground Bunkers And Armoured Vehicle Shelters At Pangong Lake

ड्रैगन ने फिर दिखाई लाल आँख लद्दाख में पैंगोंग झील के पास कर रहा खुदाई, US की तस्वीरों से खुला राज

China Digs In: Satellite Images Reveal Construction Of Underground Bunkers And Armoured Vehicle Shelters At Pangong Lake

चीन सीमा पर अपनी नापाक हरकतें करने से बाज नहीं आ रहा है. चीन की सेना पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के आसपास के क्षेत्र में लंबे समय से खुदाई कर रही है. इसी इलाके में चीन का एक मिलिट्री बेस भी है, जहां पर अंडरग्राउंड बंकर बनाए गए हैं, ताकि उनमें हथियार, ईंधन और बख्तरबंद वाहनों के लिए कठोर शेल्टर्स को स्टोर किया जा सके. हालांकि, ये पहला मौका नहीं है, जब पैंगोंग झील के पास चीन की गतिविधि बढ़ी है.

पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर पहाड़ों के बीच चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का सिरजाप मिलिट्री बेस मौजूद है. ये झील के आसपास तैनात चीनी सैनिकों का हेडक्वाटर्स है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि चीन ने इस मिलिट्री बेस को उस जगह बनाया है, जिस पर भारत का दावा है. चीनी मिलिट्री बेस लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से 5 किमी दूर स्थित है. मई 2020 में एलएसी पर गतिरोध शुरू होने तक ये इलाका इंसानों की बसावट वाला नहीं था.

सैटेलाइट तस्वीरों में खुला चीन का ‘काला सच’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट की तस्वीरों का रिकॉर्ड रखने वाली अमेरिकी कंपनी ब्लैकस्काई के जरिए शेयर की गई तस्वीरों में बताया गया गया है कि सिरजाप मिलिट्री बेस पर अंडरग्राउंड बंकर मौजूद हैं. इनका इस्तेमाल हथियार, ईंधन और अन्य सप्लाई को रखने के लिए हो रहा है. सिरजाप बेस को 2021-22 में बनाया गया था. पिछले कुछ सालों से चीन ने लगातार सीमा पर खुद को मजबूत करने का काम किया है. उसने एलएसी के दूसरी ओर सड़कें भी बनाई हैं.

30 मई को खींची गई एक तस्वीर में एक बड़े अंडरग्राउंड बंकर के आठ ढलाने वाले एंट्री गेट साफ तौर पर नजर आ रहे हैं. इसी तरह से बड़े बंकर के पास में ही एक और छोटा बंकर मौजूद है, जहां पांच एंट्री गेट दिख रहे हैं. हेडक्वाटर्स के लिए कई बड़ी इमारतों के अलावा मिलिट्री बेस में कठोर शेल्टर्स या कहें कवर पार्किंग भी मौजूद है, जहां पर बख्तरबंद वाहनों को रखा जा सके. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये शेल्टर्स वाहनों को एयरस्ट्राइक से बचाने के लिए भी हैं.

सड़कों और खाइयों के नेटवर्क से जोड़ा गया चीन का मिलिट्री बेस

ब्लैकस्काई के एक विश्लेषक ने कहा, “मिलिट्री बेस बख्तरबंद वाहनों की स्टोरेज फैसिलिटी, टेस्ट रेंज, ईंधन और हथियार स्टोरेज बिल्डिंग का एक बड़ा हिस्सा है.” उन्होंने बताया कि मिलिट्री बेस पर वर्तमान में तोपखाने और अन्य हथियार मौजूद हैं, जिन्हें सड़कों और खाइयों के एक बड़े नेटवर्क से जोड़ा गया है. जरूरत पड़ने पर इन हथियारों और तोपों को सीमा तक लाया जा सकता है. यहां हैरानी वाली बात ये है कि सैटेलाइट तस्वीरों में भी इन सड़कों को नहीं देखा जा सकता है.

क्यों जरूरी होते हैं अंडरग्राउंड बंकर?

चीन का मिलिट्री बेस गालवान घाटी में हुई झड़प वाले इलाके से 120 किमी दक्षिण-पूर्व में मौजूद है. अभी तक भारतीय सेना की तरफ से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की गई है. पैंगोंग झील के आसपास के क्षेत्र में तैनात रहे भारतीय सेना के एक पूर्व कमांडर ने बताया कि चीन के जरिए बनाए गए अंडरग्राउंड बंकर सैन्य लिहाज से बनाए गए हैं. पूर्व कमांडर की तरफ से ये भी बताया गया कि आखिर अंडरग्राउंड बंकर क्यों जरूरी है.

उन्होंने कहा, “मौजूदा हालातों में सैटेलाइट या एरियल सर्विलांस के जरिए हर चीज का पता लग सकता है. हमारे पास ऐसा कोई अंडरग्राउंड बंकर नहीं है. बिना बंकर के हथियारों और स्टोरेज फैसिलिटी को एयरस्ट्राइक से निशाना बनाया जा सकता है. चीन खुदाई करने में एक्सपर्ट है और इसके लिए हाई-टेक टेक्नोलॉजी की जरूरत नहीं होती है. सिर्फ सिविल इंजीनियरिंग और फंड के जरिए बंकर बनाए जा सकते हैं.”

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