सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं तथा न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
After 600 lawyers, 21 retired judges write to CJI expressing concern over ‘escalated attempts’ to undermine judiciary
उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के 21 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक समूह ने ‘‘सोचे समझे दबाव, गलत सूचना और सार्वजनिक रूप से अपमान के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने के कुछ गुटों’’ के बढ़ते प्रयासों पर भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को एक पत्र लिखा है।
उन्होंने कहा कि ये आलोचक संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित हैं तथा न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं।
बहरहाल, सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने यह नहीं बताया कि उन्होंने किन घटनाओं को लेकर सीजेआई को यह पत्र लिखा है। इनमें उच्चतम न्यायालय के चार सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी शामिल हैं।
यह पत्र भ्रष्टाचार के मामलों में कुछ विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी दलों में वाकयुद्ध के बीच लिखा गया है।
न्यायमूर्तियों (सेवानिवृत्त) दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश माहेश्वरी और एम आर शाह समेत सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने आलोचकों पर अदालतों और न्यायाधीशों की ईमानदारी पर सवाल उठाकर न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के स्पष्ट प्रयासों के साथ कपटपूर्ण तरीके अपनाने का आरोप लगाया है।
उन्होंने ‘‘न्यायपालिका को अनावश्यक दबाव से बचाने की आवश्यकता’’ शीर्षक वाले इस पत्र में लिखा है, ‘‘इस तरह की कार्रवाइयां न केवल हमारी न्यायपालिका की पवित्रता का अपमान करती हैं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों के लिए सीधी चुनौती भी पेश करती हैं, जिन्हें कानून के संरक्षक के रूप में न्यायाधीशों ने बनाए रखने की शपथ ली है।’’
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के नेतृत्व वाली न्यायपालिका से ऐसे दबावों के खिलाफ मजबूत होने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कानूनी प्रणाली की पवित्रता और स्वायत्तता सुरक्षित रहे।