नए कानून में मॉब लिंचिंग, नाबालिग से गैंगरेप जैसी घिनौनी हरकतों के लिए आजीवन कारावास और फांसी तक की सजा का प्रावधान है।
3 criminal laws replacing IPC, CrPc, Evidence Act to come into effect from July 1
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन नए आपराधिक कानूनों को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इन कानूनों को 1 जुलाई, 2024 से लागू करने की अधिसूचना जारी की गई है। यह तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लागू होंगे।
इन तीनों कानूनों को पहले ही राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। तीनों विधेयक कानून बन गए थे। अब इन्हें लागू करने की अधिसूचना जारी की गई है। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम अब पुराने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।
इस नए कानून में मॉब लिंचिंग, नाबालिग से गैंगरेप जैसी घिनौनी हरकतों के लिए आजीवन कारावास और फांसी तक की सजा का प्रावधान है। तीनों कानूनों को पिछले साल 21 दिसंबर को संसद से मंजूरी मिल गई थी। वहीं, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस कानून को लेकर 25 दिसंबर को अपनी सहमति दे दी थी।
इन कानूनों पर विपक्ष ने खड़े किए थे सवाल
जिस समय संसद से इन विधेयकों को पारित किया गया, उस समय विपक्ष ने कई गंभीर सवाल खड़े किए थे। सरकार जहां इन कानूनों को गुलामी की मानसिकता से प्रस्थान बता रही है। तो वहीं विपक्ष के मन में कई तरह के सवाल और शंका है। विपक्ष को लगता है कि कानून के प्रावधानों का गलत इस्तेमाल हो सकता है।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कानून में खामियों का जिक्र करते हुए कहा कि ‘कहां कौ न फंसेगा, किसे कितनी सजा मिलेगी। कानूनी तौर पर इसकी कोई व्याख्या नहीं है। सरकार अंधे युग में डालने की को शिश कर रही है।
वहीं, सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि ‘सरकार ने संसद को अवैध कर दिया है। तानाशाही वाले कानूनों पारित किए गए हैं। ये कानून देश को एक ‘पुलिस स्टेट’ में बदल देंगे।