चिंता… अपने ही बोझ से डूब जाएंगे दुनिया के कई शहर, अध्ययन रिपोर्ट

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These cities will sink not only due to climate change but also due to their own burden, study reports

These cities will sink not only due to climate change but also due to their own burden, study reports
These cities will sink not only due to climate change but also due to their own burden, study reports

अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने दुनियाभर के 99 शहरों का अध्ययन करने के बाद कहा है कि तटीय शहर पहले के आकलन से कहीं ज्यादा तेजी से डूब रहे हैं।

These cities will sink not only due to climate change but also due to their own burden, study reports

अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने दुनियाभर के 99 शहरों का अध्ययन करने के बाद कहा है कि तटीय शहर पहले के आकलन से कहीं ज्यादा तेजी से डूब रहे हैं। बढ़ते समुद्र जलस्तर के कारण आने वाले 50 सालों में कई शहरों के डूब जाने की आशंका है। लेकिन एक ताजा अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि कुछ शहरों के डूबने की रफ्तार समुद्र के जलस्तर के बढ़ने से भी ज्यादा है। ऐसा इन शहरों में जमीन धंसने से हो रहा है।

अमेरिका की रोड आईलैंड यूनिवर्सिटी के ओशनोग्रैफी विभाग के वैज्ञानिकों पेई-चिन वु, मेंग वेई और स्टीवन डी होंट ने अमेरिका के भूगर्भ विज्ञान विभाग के साथ मिलकर समुद्र तटों पर अध्ययन किया। अपने शोध में उन्होंने पाया कि दुनियाभर के कई तटीय शहरों के डूबने की दर बढ़ चुकी है।

99 शहरों का अध्ययन

इन वैज्ञानिकों ने उपग्रह से ली गईं तस्वीरों का अध्ययन करके दुनियाभर के 99 तटीय शहरों का आकलन किया है। वैज्ञानिक कहते हैं कि अलग-अलग शहरों में डूबने की दर अलग-अलग है लेकिन अगर ऐसा ही चलता रहा तो बहुत से शहरों में बाढ़ उस समय से पहले आ जाएगी, जो अब तक समुद्री जल स्तर के मॉडलों के आधार पर माना गया था।

वैज्ञानिकों ने इंडोनेशिया की मिसाल दी है, जहां जकार्ता की जगह राजधानी को नई जगह बसाया जा रहा है, क्योंकि जकार्ता तेजी से डूब रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जकार्ता अपने भूजल के सूखने के कारण ज्यादा तेजी से डूब रहा है।

अन्य क्षेत्रों की हालत भी कुछ बेहतर नहीं है। अपने शोधपत्र में शोधकर्ता कहते हैं, “यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के टॉम पार्सन्स के साथ मिलकर हमने जो अध्ययन किया, उसमें पाया कि न्यूयॉर्क शहर का अधिकतर हिस्सा हर साल एक से चार सेंटीमीटर तक डूब रहा है। इसकी वजह ग्लेशियरों का पिघलना तो है ही, साथ ही दस लाख से ज्यादा इमारतों का वजन भी है। जिस शहर में समुद्र का स्तर 2050 तक आठ से 30 इंच के बीच बढ़ने की आशंका जताई गई है, वहां जमीन के धंसने से तटीय तूफानों के प्रति उसकी संवेदनशीलता भी बढ़ती है।”

अभी से तैयारी की जरूरत

इन वैज्ञानिकों का आकलन है कि अटलांटिक तट पर बसे अमेरिका के अधिकतर शहर ग्लेशियरों की बर्फ पिघलने के कारण डूब रहे हैं। शोधकर्ता कहते हैं कि अगर डूबने की दर माइनस एक मिलीमीटर सालाना है, तो भी उसकी अहमियत समझी जानी चाहिए, विशेषकर मेक्सिको की खाड़ी, ह्यूस्टन और न्यू ऑरलीन्स आदि में।

वैज्ञानिक कहते हैं, “दुनियाभर के सरकारों को तटीय क्षेत्रों के डूबने की चुनौती से निपटना होगा. बाढ़ की बढ़ती चुनौती पूरी दुनिया की एक साझा चुनौती है।” वैज्ञानिकों का मानना है कि मशीन लर्निंग की क्षमता से उनकी निगरानी और शोध की क्षमता बढ़ रही है, लेकिन वे शहरों का नियोजन करने वाले अधिकारियों, नीति निर्माताओं और आपदा प्रबंधकों से आग्रह करते हैं कि डूबने की समस्या की तैयारी आज से ही शुरू कर दें।

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