गाय की डकार पर इस देश में लगा टैक्स, योजना को लेकर सरकार और किसानों के बीच रार, सड़कों पर उतरे किसान

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New Zealand farmers hit streets to protest cow-burp tax plan

New Zealand farmers hit streets to protest cow-burp tax plan
New Zealand farmers hit streets to protest cow-burp tax plan

न्यूजीलैंड में गायों की डकार ने एक नयी तरह की समस्या पैदा कर दी है। इस पर सरकार की प्रस्तावित टैक्स योजना के खिलाफ किसान सड़कों पर उतर कर विरोध कर रहे हैं।

New Zealand farmers hit streets to protest cow-burp tax plan

न्यूजीलैंड में पिछले सप्ताह सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने की योजना के तहत नया कृषि कर लगाने का प्रस्ताव रखा। किसानों को अपने पशुओं से होने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए टैक्स चुकाना पड़ेगा। सरकार की प्रस्तावित योजना के खिलाफ गुरुवार को देशभर में किसानों ने विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी किसान सड़कों पर ट्रैक्टर और खेतों में इस्तेमाल होने गाड़ियों के काफिले के साथ सड़कों पर उतरे। वे सरकार से इस योजना को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

2025 में न्यूजीलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बन जाएगा जो कृषि क्षेत्र से होने वाले उत्सर्जन पर टैक्स लगाएगा। इसमें गायों और भेड़ों की डकारों से निकलने वाली मीथेनऔर नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जन भी शामिल है। ये दोनों पर्यावरण के लिए एक खतरनाक ग्रीनहाउस गैस हैं।

क्या है सरकार की योजना?

न्यूजीलैंड में कृषि से सबसे ज्यादा लोग जुड़े हैं। देश की आबादी करीब 50 लाख है लेकिन इसकी तुलना में यहां एक करोड़ से ज्यादा गाय और भैंसें हैं और 2.6 करोड़ भेड़ें हैं। न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से निपटने और 2050 तक कार्बन न्यूट्रैलिटी हासिल करने के लिए “दुनिया की पहली” ऐसी किसी योजना की घोषणा की। सरकार ने 2030 तक 2017 के अपने मीथेन उत्सर्जन स्तर में 10 फीसदी कमी का प्रण लिया है। लेकिन किसानों के विरोध ने सरकार के सामने संकट खड़ा कर दिया है। सरकार का कहना है कि वह बातचीत के जरिये इस मामले को सुलझाने में जुटी है।

क्या चाहते हैं किसान?

प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि इस योजना से उनके रोजगार को नुकसान पहुंचेगा और भोजन ज्यादा महंगा हो जाएगा। प्रदर्शन करने वाले किसानों के समूहों में से एक ग्राउंड्सवेल के ब्राइस मैकेंजी ने सरकारी प्रसारक रेडियो न्यूजीलैंड से बातचीत में योजना को “दंडात्मक” और “ग्रामीण समुदायों के लिए अस्तित्व का खतरा” कहा। न्यूजीलैंड हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों की संख्या आयोजकों की अपेक्षा से कम थी।

प्रधानमंत्री जसिंदा अर्डर्न ने तर्क दिया है कि अगर वे जलवायु-अनुकूल उत्पादों के लिए कीमतें बढ़ाती हैं तो योजना किसानों को फायदा पहुंचा सकती है। उन्होंने ऑकलैंड में संवाददाताओं से एक बातचीत में कहा, “हम अपने किसानों और खाद्य उत्पादकों से सबसे बेहतर संभावित तरीकों के बारे में बात कर रहे हैं।”

ब्राइस मैकेंजी कहते हैं, “किसान सीधे-सीधे छूट की मांग नहीं कर रहे हैं…आइए काम करते हैं कि यह किसानों और देश दोनों के लिए बेहतर कैसे होगा, समस्या यह है कि अगर आप किसी ऐसी चीज के लिए जानबूझकर शुल्क लेते हैं जिसका असल में, आपके पास कोई समाधान नहीं है, तो यह एक टैक्स है।”

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