छींकते ही, बस चलाते, नाचते-गाते मौत, कोरोना कैसे ‘हार्ट अटैक के बहाने बना रहा युवाओं को शिकार!
Sneezing, dancing, driving a bus and sitting, how is ‘heart attack’ making youth its victims?
छींकते ही, बस चलाते, नाचते-गाते बैठे-बैठे मौत, कोरोना कैसे ‘हार्ट अटैक के बहाने बना रहा युवाओं को शिकार!
केस-1:
मेरठ की घटना. तारीख 04 दिसंबर. तीन दोस्त रात में कहीं जा रहे थे. एक को छींक आई और एक 20-22 साल का लड़का धड़ाम से नीचे गिरा. गिरते ही उसकी मौत हो गई. फटाफट उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका. मौत का कारण- हार्ट अटैक.
केस-2:
बरेली की घटना. तारीख 04 दिसंबर. सुबह-सुबह स्कूल में प्रार्थना चल रही थी. 23 साल के शिक्षक गोविंद देवल की अचानक तबीयत बिगड़ने लगी. दूसरे साथी शिक्षक उन्हें डॉक्टर के पास ले गए, लेकिन बचाये नहीं जा सके. मौत का कारण- हार्ट अटैक.
केस-3:
एक मामला लखनऊ का. तारीख 03 दिसंबर. महिलाबाद क्षेत्र के भदवाना गांव में एक दुल्हन की अपने दूल्हे को वरमाला पहनाने के तुरंत बाद मौत हो गई. दुल्हन माला पहनाते ही स्टेज पर गिर पड़ी. डॉक्टरों के पास ले गए, लेकिन मौत हो गई. मौत का कारण- हार्ट अटैक.
केस-4:
ये मामला वाराणसी का है. तारीख 25 नवंबर. भतीजे की शादी में नाचते-नाचते फूफा अचानक गिर पड़े. लोगों को लगा ये कोई डांस स्टेप कर रहे हैं, लेकिन थोड़ी देर बाद पता चला उनकी मौत हो गई. नाम था मनोज विश्वकर्मा और उनकी उम्र 40 साल थी. मनोज ऐसे गिरे कि फिर कभी नहीं उठे. मौत का कारण- हार्ट अटैक.
केस-5:
गाजियाबाद में 35 साल के जिम ट्रेनर की हार्ट अटैक से मौत हो गई. घटना नवंबर की ही है. वो कुर्सी पर बैठे हुए थे, अचानक पीछे की तरफ लुढ़के और फिर उठ नहीं सके. मौत का कारण- हार्ट अटैक.
ये तो सिर्फ पांच केस हैं. एक और है जिसमें ड्राइवर को बस चलाते-चलाते हार्ट अटैक आ गया. कॉपी में और केस जोड़ने बैठ जाएं तो न जाने कितने उदाहरण मिल जाते. सोचिए, छींकते-छींकते, नाचते-नाचते और बैठे-बैठे हार्ट अटैक आ रहा है. ये तो वो मौत है, जिसका अहसास भी नहीं हो पा रहा है. लेकिन क्या आपने सोचा है ऐसा क्यों हो रहा है? कोई तो चीज बदली है, जिससे साइलेंट हार्ट अटैक आ रहे हैं. इसी चीज का पता लगाने के लिए हमने बात की मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. एम वली से..
सवाल: कुछ लोगों को कहना है कि कोविड या वैक्सीन के कारण ऐसा हुआ है?
जवाब: हार्ट अटैक के मामले हमेशा सामने आते रहते हैं लेकिन इन दिनों इसका असर युवाओं पर अधिक देखने को मिल रहा है. दो साल के कोविड के दौरान लोगों की एक्सरसाइट कैपेसिटी कम हुई है. इससे हार्ट की कैपेसिटी कम हुई है और ये बड़ा कारण हो सकता है, हार्ट अटैक के बढ़ने का.
सवाल: कोविड के बाद हार्ट अटैक के मामले बढ़े, क्या ये कहना सही होगा?
जवाब: कोविड पर स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड ने सिर्फ लंग्स को नुकसान नहीं पहुंचा, बल्कि उसका असर हमारे फैट पर भी हुआ है. कई फैट निकालने वाले ऑपरेशन के जरिए ये बात पता चली है कि फैट में भी कोविड है. ऐसे में हार्ट के ऊपर जो फैट है, उस पर अगर कोरोना का असर है तो हार्ट अटैक का कारण हो सकता है.
सवाल: सडन डेथ (अचानक मौत) का कारण क्या हो सकता है.
जवाब: अचानक मौत एक दिन का नतीजा नहीं है. एक्सरसाइज कम करना, कोविड का असर और कार्डियक यूरेमिया (cardiac uremia) इसका कारण हो सकते हैं.
कोविड के बाद हार्ट अटैक बढ़ा
लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के मुताबिक ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर कोविड भी नहीं हुआ, उनमें भी ब्लड क्लॉटिंग के मामले तीन गुना बढ़े हैं. जबकि सीवियर कोविड मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग के केस 27 गुना बढ़े हैं. हार्ट फेल होने के केस 21 गुना और स्ट्रोक के केस 17 गुना. अमेरिका में कोविड से पहले हर साल लगभग डेढ़ लाख हार्ट अटैक के केस रिपोर्ट होते थे, जो कोरोना की पहली लहर के बाद 14 परसेंट और दूसरी लहर के बाद 44 परसेंट बढ़ गए. हार्ट अटैक आने वालों में औसत उम्र 24 से 44 के बीच रही.
CPR से बच सकती है जान
इसे कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन कहते हैं. अगर किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आते ही शुरुआती समय में ही CPR मिल जाए तो जान बचाने के चांस 3 गुना बढ़ जाते हैं. CPR शरीर में खून का फ्लो बनाने में मददगार होता है.
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