नेता विपक्ष गोविंद सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के समस्त भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीधा संरक्षण प्राप्त है। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा, राजधानी भोपाल के श्यामला हिल्स से निकल रही है। वहीं से गंदगी है, तो नीचे सफाई नहीं हो सकती।
Madhya Pradesh | 500 crore scam in nutrition diet, officials close to Shivraj involved
मध्य प्रदेश में ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट से 500 करोड़ रुपए का पोषण आहार घोटाला होने का खुलासा हुआ है। ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में प्रदेश के आठ जिलों में करीब 500 करोड़ रुपए का घोटाला होने की बात सामने आई है। इस पूरे मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान के खासमखास माने जाने वाले मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के सीईओ ललित मोहन बेलवाल का नाम आया है। इस घोटाले को लेकर कांग्रेस ने आज लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराकर कार्रवाई की मांग की है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में पारस सकलेचा द्वारा लोकायुक्त में की गई शिकायत के आधार पर कहा कि वर्तमान में राज्य के मुख्य सचिव इकबाल सिंह 2014 में मुख्यमंत्री के सचिव बने और 2017 के बाद उन्होंने बेलवाल को अपना सीईओ बनाकर उनको रूरल डेवलपमेंट के दूसरे डिपार्टमेंट के अंतर्गत ट्रांसफर कराया।
विवेक तन्खा ने कहा कि यह व्यवस्था 2018 तक चलती रही। 2018 में बेलवाल रिटायर हो गए और दिसंबर में सरकार बदल गई। कमलनाथ की सरकार बनी और उनको जब इसमें हुए भ्रष्टाचार की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने कार्यकाल में एग्रो कारपोरेशन के अंतर्गत सात फैक्ट्री को वापस एमपी एग्रो को ट्रांसफर किया, जहां से यह काम वर्षों से होता आ रहा था।
विवेक तंखा ने कहा कि मार्च 2020 में कमलनाथ की सरकार चली गई और शिवराज की सरकार आ गई। एक दिन बाद इकबाल सिंह मुख्य सचिव बन जाते हैं। कुछ दिन बाद बेलवाल कांट्रैक्ट पर वापस आ जाते हैं और कुछ दिन बाद वह सात फैक्टरी भी रूरल डेवलपमेंट में वापस आ जाती है।
विवेक तंखा ने कहा कि मध्य प्रदेश अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट आई, आज उस रिपोर्ट के सारांश हमने लोकायुक्त के सामने रखे हैं। उसमें राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में 500 करोड़ का फेक प्रोडक्शन, फेक डिस्ट्रीब्यूशन और फेक परिवहन किए जाने का खुलासा हुआ है। इसमें स्कूटर, ऑटो और कार के नंबर वाले वाहनों राशन का परिवहन करने का खुलासा हुआ है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अकाउंटेंट जनरल ने सैंपल आधार पर यह जांच की थी और कहा था कि इस मामले की स्वतंत्र निकाय से जांच करवाना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। लेकिन राज्य सरकार ने इस संबंध में किसी प्रकार की जांच करवाने के लिए कोई पहल नहीं की। उन्होंने कहा कि मामले की स्वतंत्र जांच के लिए इन दोनों अधिकारियों को उनके पद से तत्काल हटाया जाना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि लोकायुक्त में की गई शिकायत में कहा गया है कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, सीईओ एलएम. बेलवाल और अन्य संवैधानिक, शासकीय और निजी क्षेत्र के लाभार्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए जो इस बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार में शामिल थे।
उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट आदेश हैं कि इस तरह के मामले में एफआईआर दर्ज होनी चाहिए और सभी संबंधित दस्तावेज जब्त करके तत्काल जांच शुरू कराई जानी चाहिए।
विवेक तंखा ने कोर्ट जाने के सवाल पर कहा कि सब कुछ करेंगे, मगर अपने समय से करेंगे, यह मामला भारत के लोकतंत्र और मप्र के लोकायुक्त संगठन की स्वतंत्रता की परीक्षा का है, वे जो करेंगे न्यायोचित करेंगे। हमने लोकायुक्त में शिकायत की है और लोकायुक्त को इस मामले को देखना है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के समस्त भ्रष्टाचार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सीधा संरक्षण प्राप्त है। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा, राजधानी भोपाल के एक श्यामला हिल्स से निकल रही है। वहीं से गंदगी है तो नीचे सफाई नहीं हो सकती।