इंजीनियर, MBA, डॉक्टर बेच रहे थे कैंसर की नकली दवा, 9 गिरफ्तार

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Engineer, doctor among 9 held as cops bust fake cancer drug makers

Engineer, doctor among 9 held as cops bust fake cancer drug makers
Engineer, doctor among 9 held as cops bust fake cancer drug makers

सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने दो महीने तक जानकारी इकठ्ठा की. पता चला कि इनका गोदाम ट्रोनिका सिटी (गाजियाबाद) में है, जहां डॉ. पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना के निर्देश पर उनके साथी पंकज बोहरा और अंकित शर्मा उर्फ ​​भज्जी कैंसर रोगी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं को पैक करते थे.

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गाजियाबाद: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मौत के सौदागरों के एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो कैंसर जैसी घातक बीमारी में नकली दवा आपको सस्ते दामों में उपलब्ध कराकर झूठी उम्मीदें बेच रहे थे. ये गिरोह स्टार्च से टेबलेट और कैप्सूल बनाते थे और उनको जरुरतमंदों को सस्ते दामों पर बेच रहे थे. पुलिस ने इस गिरोह में शामिल एक डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने उनके कब्जे से 8 करोड़ की 20 अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की कैंसर की दवाइयां बरामद की है. आरोपियों की पहचान डॉ. पवित्र नारायण प्रधान, शुभम मन्ना, पंकज सिंह बोहरा, अंकित शर्मा उर्फ़ अंकु उर्फ़ भज्जी, राम कुमार उर्फ़ हरबीर, आकांक्षा वर्मा और प्रभात कुमार रस्तोगी के रूप में हुई है.

क्राइम ब्रांच के स्पेशल कमिश्नर रविंद्र यादव के मुताबिक, क्राइम ब्रांच को नकली जीवन रक्षक कैंसर दवाओं के बनाने और सप्लाई में शामिल एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह के बारे में पता चला. सूचना के आधार पर पुलिस टीम ने दो महीने तक जानकारी इकठ्ठा की. पता चला कि इनका गोदाम ट्रोनिका सिटी (गाजियाबाद) में है, जहां डॉ. पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना के निर्देश पर उनके साथी पंकज बोहरा और अंकित शर्मा उर्फ ​​भज्जी कैंसर रोगी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं को पैक करते थे.

पुलिस को यह भी पता चला कि डॉ. पवित्र प्रधान और शुभम मन्ना नोएडा के एक फ्लैट में रह रहे हैं. डॉ. पवित्र प्रधान के निर्देश पर पंकज बोहरा और अंकित शर्मा दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर नकली दवाइयां पहुंचाते थे और देश भर में दवाओं की डिलीवरी के लिए ‘वी फास्ट’ कुरियर का इस्तेमाल करते थे.

पुलिस की एक टीम ने प्रगति मैदान के पास भैरों मंदिर रोड पर एक बैग ले जा रहे एक स्कूटी सवार लोगों को रोका. जिसकी पहचान पंकज सिंह बोहरा के रूप में हुई. बैग की तलाशी लेने पर दवाइयां बरामद हुई. पूछताछ में पंकज सिंह बोहरा ने स्वीकार किया कि बरामद दवाएं नकली हैं और भारत में उन्हें बेचने के लिए केवल एस्ट्रा जेनेका कंपनी अधिकृत है. उसने यह भी खुलासा किया कि उनका गोदाम ट्रोनिका सिटी गाजियाबाद में है.

क्राइम ब्रांच की दूसरी टीम ने डॉ. पवित्र नारायण प्रधान, शुभम मन्ना और अंकित शर्मा उर्फ ​​अंकु उर्फ भज्जी को नोएडा से गिरफ्तार किया और फ्लैट की तलाशी लेते हुए 1.3 लाख की नकदी और करोड़ों की दवाइयां बरामद हुई. पूछताछ के दौरान पता चला कि डॉ. पवित्र नारायण प्रधान ने साल 2012 में चीन से एमबीबीएस पूरा किया था. एमबीबीएस के दौरान उनका बांग्लादेशी बैच-मेट, डॉ. रसेल ने बताया कि वह कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली नकली दवाओं के निर्माण के लिए आवश्यक एपीआई प्रदान कर सकते हैं. उसने बताया कि इन दवाओं की भारत और चीन के बाजारों में बहुत भारी मांग है और यह बहुत महंगी हैं. इन नकली दवाओं को बेचकर मोटी कमाई कर सकते हैं. चीन से एमबीबीएस करने वाले डॉ. अनिल ने भी भारत और चीन में अपने संपर्क के जरिए ऐसी नकली दवाओं की सप्लाई करने की बात मानी थी.

इसके बाद डॉ. पबित्रा ने अपने चचेरे भाई शुभम मन्ना और अन्य सहयोगियों को शामिल किया और कैंसर के इलाज के लिए नकली दवाओं का निर्माण शुरू कर दिया. रामकुमार उर्फ ​​हरबीर को कैप्सूल और फॉइल पेपर देते थे, जो आगे कच्चा माल खरीदकर सोनीपत में अपनी फैक्ट्री में उनकी मांग के अनुसार टैबलेट और कैप्सूल तैयार करते थे. उन्होंने पैकेजिंग और सप्लाई के लिए ट्रोनिका सिटी, गाजियाबाद में एक घर किराए पर लिया.

आरोपियों की निशानदेही पर ट्रोनिका सिटी में छापा मारकर भारी मात्रा में दवाइयां बरामद हुई. डॉ. पवित्रा की निशानदेही पर आरोपी राम कुमार उर्फ ​​हरबीर को गिरफ्तार किया गया. उसकी निशानदेही पर 100 किलो मक्के का स्टार्च और लगभग 86,500 खाली कैप्सूल बरामद किए गए. उनकी फैक्ट्री में नकली दवाएं तैयार करने में करीब 14 मशीनों और उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा था. आगे की छापेमारी में एकांश वर्मा को चंडीगढ़ से गिरफ्तार किया गया, जो खाली कैप्सूल मुहैया कराता था और नकली दवाइयां जरूरतमंद ग्राहकों को बेचता था. उनकी निशानदेही पर उसके घर और ऑफिस से नकली दवाएं बरामद की गईं.

प्रभात कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया गया और गाजियाबाद स्थित उनके घर से नकली दवाएं बरामद की गईं. ठगी के पैसों से पवित्रा और शुभम मन्ना ने गुरुग्राम में 2 प्लॉट खरीदे, जिस पर वे 8 फ्लैट बना रहे हैं. डॉ. पबित्रा ने पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में जमीनों में भी निवेश किया और नेपाल में जमीन खरीदने के लिए पैसे भी दिए. फिलहाल पुलिस इस गिरोह के और आरोपियों की तलाश कर रही है.

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