सुप्रीम कोर्ट के जेल भेजने के आदेश देते ही लापता हुए बिलकिस बानो के दोषी

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Bilkis rapist went missing as soon as Supreme Court ordered to send them to jail

Bilkis rapist went missing as soon as Supreme Court ordered to send them to jail
Bilkis rapist went missing as soon as Supreme Court ordered to send them to jail

बिल्कीस बानों केस के दोषी लापता हैं जिनकी रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त करते हुए वापस जेल भेजे जाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें इन दोषियों को ‘अच्छे आचरण’ के आधार पर रिहा किया गया था।

Bilkis rapist went missing as soon as Supreme Court ordered to send them to jail

बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषी फिलहाल लापता है। खबरों के मुताबिक 11 में कम से कम 9 दोषी फिलहाल अपने घरों पर नहीं हैं और न ही उनके बारे में किसी को कोई जानकारी है।सोमवार (8 जनवरी, 2024) को इस केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ घंटों बाद जब कुछ मीडिया वाले गुजरात के दाहोद में दोषियों के गांव (राधिकापुर और सिंगवाद) पहुंचे तो वहां उनके घरों के दरवाजों पर ताले लटके मिले।

बिल्कीस बानों केस के 11 में से 9 दोषी लापता हैं जिनकी रिहाई को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त करते हुए वापस जेल भेजे जाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के उस फैसले को पलट दिया था जिसमें इन दोषियों को ‘अच्छे आचरण’ के आधार पर रिहा किया गया था।

गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बानों और उसके परिवार के साथ दरिंदगे के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की रिहाई को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन्हें रिहा करने के लिए गुजरात सरकार ने झूठ बोला। सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी को वापस जेल भेजे जाने का आदेश सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही ये सभी लापता हो गए हैं। ये सभी आरोपी गुजरात के दाहोद जिले के रंधिकापुर और सिंगवाड़ गांवों के रहने वाले हैं। 2002 में हुए गुजरात के गोधरा दंगों में बिल्कीस बानों रंधिकापुर में रहती थीं, उसी दौरान उनसे और उनके परिवार के साथ दरिंदगी की गई थी।

इन गांवों के लोगों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक ये सभी गांव में ही थे, लेकिन उसके बाद से लापता हो गए हैं। इंडियन एक्स्प्रेस ने एक स्थानीय दुकानदार के हवाले से कहा है कि अब इन सभी के घरों पर ताला लटका है और वे सभी कहीं चले गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन सभी को जेल वापस जाना था, लेकिन अभी तक किसी ने भी सरेंडर नहीं किया है। एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि इनमें से 9 एकदम लापता हैं। हालांकि दाहोद के पुलिस अधीक्षक ने दावा किया है कि उन्हें अभी ऐसा कोई आदेश नहीं मिला है कि इन्हें सरेंडर कराना है, फिर भी एहतियात के तौर पर इलाके में पुलिस तैनात कर दी गई है ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। दाहोद एसपी बलराम मीणा ने यह भी कहा है कि ये सभी 11 दोषी गायब नहीं हुए हैं और अपने रिश्तेदारों के घर गए हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक अन्य खबर में एक दी गोविद नाई (55 वर्ष) के पिता अखंबिका चतुरभाई रावल ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा है कि गोविंद फैसला आने से एक सप्ताह पहले ही घर छोड़ कर जा चुका था। वहीं दूसरे दोशी राधेश्यान शाह के पिता भगवान दास शाह का कहना है कि उनका बेटा बीते 15 महीनों से घर पर नहीं है। उन्होंने बताया कि राधेश्याम अपनी पत्नी और बेटे के साथ जा चुका है।

लेकिन इन दावों के बावजूद पड़ोसियों और स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि रविवार तक लगभग सभी दोषी इलाके में ही थे, इनमें राधेश्याम भी था। दुकानदारों का कहना है कि अब सभी अपने घरों में ताला लगाकर भाग गए हैं और हाथ नहीं आने वाले।

गौरतलब है कि इन सभी 11 लोगों को बिल्कीस बानों केस में 21 जनवरी 2008 को सीबीआई की विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन 15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने इन सभी को रिहा कर दिया था।

गोधरा दंगों के वक्त बिल्कीस बानों की उम्र 21 साल थी और वह उस समय 5 महीने की गर्भवती थी। जब दंगे भड़के थे तो आरोपियों ने उसके घर पर धावा बोला था और उसके साथ सामूबिक बलात्कार किया गया था। इतना ही इन लोगों ने बिल्कीस बानों की तीन साल की बेटी और परिवार के 6 अन्य लोगों की हत्या कर दी थी।

इन सभी 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ बिल्कीस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिस पर कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाए हुए रिहाई को निरस्त कर इन्हें जेल भेजने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि, “जहां कानून का शासन लागू करने की जरूरत होती है, वहां करुणा और सहानुभूति की कोई भूमिका नहीं होती है. कानून के प्रभाव में लोगों का विश्वास कानून के शासन को बनाए रखने के लिए रक्षक और सहायक है।”

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद इन सभी दोषियों के घरों के बाहर पुलिस तैनात की गई थी। हालांकि कई घरों में ताला लटका है फिर भी पुलिस कांस्टेबिल की तैनाती की गई है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक एक दोषी प्रदीप मोढिया के घर के बाहर तैनात पुलिस दरोगा आर एन दामोर ने बताया कि प्रदीप सोमवार सुबह ही घर से चला गया था और वह वापस आ जाएगा क्योंकि वह अपनी मोटरसाइकिल छोड़ गया है।

अन्य दोशी रमेश चंदाना के बारे में सिंगवाड़ के गांव वालों का कहना है कि वह अब यहां नहीं रहता और वह मूल रूप से गोधरा का रहने वाला है। रमेश का दामाद जो अन्य दोशी प्रदीप के घर से कुछ मीटर की दूरी पर रहता है, उसने बताया कि रमेश बात करने की स्थिति में नहीं है, और फोन तक पर बात नहीं कर रहा है। दूसरे आरोपी शैलेश भट्ट (अब 65 वर्ष) और मिथेश भट्टा (अब 58 वर्ष) का भी कोई अता-पता नहीं है। उनके परिवारों ने इन दोनों के बारे में कोई भी जानकारी होने से इनकार कर दिया।

गांव वालों का कहना है कि अन्य दोषियों में रजुभाई सोनी, केशरभाई वोहानिया, बकाभाई वोहानिया और बिपिन चंद्र जोशी भी इसी गांव के हैं, लेकिन अब गायब हैं।

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