MSP समेत कई मांगों को लेकर देशभर में किसानों का ‘रेल रोको’ आंदोलन

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‘Rail Roko’ movement of farmers across the country regarding many demands including MSP

'Rail Roko' movement of farmers across the country regarding many demands including MSP
‘Rail Roko’ movement of farmers across the country regarding many demands including MSP

किसान नेता पंढेर ने कहा कि हम उन लोगों से भी आग्रह करते हैं, जो आज दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच ट्रेन यात्रा करना चाहते हैं, वे आज 4 घंटे तक ऐसा न करें। आज लोगों को थोड़ी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है।

‘Rail Roko’ movement of farmers across the country regarding many demands including MSP

एमएसपी समेत कई मांगों को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। किसान शंभू बॉर्डर पर डटे हुए हैं। देशभर में आज किसान रेल रोको आंदोलन करेंगे। किसान संगठनों ने इसके लिए अपील की है। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “13 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर शुरू हुए आंदोलन के तहत हमने आज देशभर में ‘रेल रोको’ का आह्वान किया है। हम देश के सभी किसानों, मजदूरों और आम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे बड़ी संख्या में आज ‘रेल रोको’ में हमारा समर्थन करें।

किसान नेता पंढेर ने कहा कि हम उन लोगों से भी आग्रह करते हैं, जो आज दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे के बीच ट्रेन यात्रा करना चाहते हैं, वे आज 4 घंटे तक ऐसा न करें। आज लोगों को थोड़ी असुविधा का सामना करना पड़ सकता है। यह आंशिक ‘रेल रोको’ है।

14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में महापंचायत

किसानों के आंदोलन के देखते हुए दिल्ली के भीतर किसानों के ठहरने के संभावित स्थानों पर भी पुलिस तैनात है। सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर, दिल्ली में कई जगहों पर धारा-144 लागू कर दी गई है। किसी को भी प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं है। रेलवे, मेट्रो स्टेशन और बस अड्डों पर अतिरिक्त पुलिस फोर्स तैनात की गई है। 14 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा ने रामलीला मैदान में किसान महापंचायत बुलाई है। किसान संगठनों की तरफ से कहा गया है कि महापंचायत में किसान, ट्रैक्टर लेकर नहीं आएंगे। वो सार्वजनिक परिवहन के जरिए ही महापंचायत में पहुंचेंगे।

किसानों और सरकार के बीच कई दौर की वार्ता नाकाम हो चुकी है। किसान अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। कई बार किसानों ने यहां से दिल्ली मार्च की कोशिश की लेकिन, सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया। आंसू गैस के गोले दागे गए। टकराव की स्थिति तक बन गई। अभी भी पंजाब-हरियाणा के किसान यहां पर डटे हुए हैं।

किसानों की मांगें क्या हैं?

  • सभी फसलों की खरीद पर एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाएं। डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश पर सभी फसलों के उत्पादन की औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा एमएसपी मिले।
  • गत्ते का एफआरपी और एसएपी स्वामीनाथन आयोग के फार्मूले के मुताबिक दिया जाए।किसानों-मजदूरों का पूरा कर्ज माफ हो।
  • पिछले दिल्ली आंदोलन की अधूरी मांगें जैसे-
  • लखीमपुर खीरी हत्या मामले में न्याय हो, अजय मिश्रा को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार किया जाए। आशीष मिश्रा की जमानत रद्द की जाए। सभी आरोपियों से उचित तरीके से निपटा जाए।
  • बिजली क्षेत्र को निजी हाथों में देने वाले बिजली संशोधन विधेयक पर दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान सहमति बनी थी कि इसे उपभोक्ता को विश्वास में लिए बिना लागू नहीं किया जाएगा, जो कि अभी अध्यादेशों के माध्यम से पिछले दरवाजे से लागू किया जा रहा है। इसे निरस्त किया जाए।
  • घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
  • दिल्ली मोर्चा समेत देशभर में सभी आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मुकदमे रद्द किए जाएं।
  • आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों और मजदूरों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और नौकरी दी जाए।
  • दिल्ली में किसान मोर्चा के शहादत स्मारक के लिए जगह दी जाए।
  • कृषि क्षेत्र को वादे के अनुसार प्रदूषण कानून से बाहर रखा जाना चाहिए।

2. भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर किए जा। कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस आदि पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाना चाहिए। विदेशों से और प्राथमिकता के आधार पर भारतीय किसानों की फसलों की खरीद करें।
3. मनरेगा के तहत हार सला 200 दिनों के लिए रोजगार उपलब्ध कराया जाए। मजदूरी बढ़ाकर 700 प्रति दिन की जाए और इसमें कृषि को शामिल किया जाए।
4. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास समेत सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार करना और नकती और घटिया उत्पादों का निर्माण और बिक्री करने वाली कंपनियों पर अनुकरणीय दंड और दंड लगाकर लाइसेंस रद्द करना।
5. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार द्वारा स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत एकड़ को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना।
6. किसानों और 58 वर्ष से अधिक उम्र के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10,000 रुपये प्रति माह की पेंशन दी जानी चाहिए।
7. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाए।
8. संविधान की पांचवीं अनुसूची का कार्यान्वयन।

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