चुनावी साल में मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना पर तत्काल रोक लगा दी है। चुनावी बॉन्ड योजना को कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है।
SC announces verdict on electoral bonds scheme: What is it and how is it connected with poll funding?
केंद्र सरकार की चुनावी बॉन्ड योजना की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दो अलग-अलग फैसले हैं – एक उनके द्वारा लिखा गया और दूसरा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना द्वारा और दोनों फैसले सर्वसम्मत हैं।
वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया है और इसे लागू करने के लिए बनाए गए सभी प्रावधानों को भी खारिज कर दिया है। कोर्ट ने माना है कि यह नागरिकों के मौलिक अधिकार सूचना प्राप्त करने का हनन करता है ताकि वे जान सकें कि कौन से लोग राजनीतिक दलों को धन दे रहे हैं। कोर्ट ने कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को किए जा रहे असीमित योगदान को भी निरस्त कर दिया है।”
कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
- नागरिकों को यह जानने का अधिकार है कि सरकार का पैसा कहां से आता और कहां जाता है।
- राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे के बारे में जनता को जानने का अधिकार है।
- चुनावी बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
- गुमनाम चुनावी बांड योजना अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।
- काले धन पर अंकुश लगाने के लिए सूचना के अधिकार का उल्लंघन उचित नहीं है।
- SBI को चुनावी बॉन्ड चुनावी बॉन्ड की जानकारी देनी होगी।
- 2019 से अब तक की जानकारी SBI को देनी होगी।