पीएम मोदी को पत्र लिखकर पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाने की घोषणा के बाद बजरंग पुनिया पुरस्कार लौटाने पीएम के आवास पर गए, लेकिन जब पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया तो उन्होंने वहीं पीएम आवास के सामने फुटपाथ पर अपना पद्मश्री पुरस्कार रख दिया।
“Will not take it back home”: Bajrang Punia leaves Padma Shri on Kartavya Path pavement; police keep it
बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले में कार्रवाई नहीं होने और उनके करीबी संजय सिंह के कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष बनने के विरोध में टोक्यो ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता पहलवान बजरंग पुनिया ने शुक्रवार को अपना पद्मश्री पुरस्कार सरकार को वापस लौटा दिया। उन्होंने पीएम मोदी को पत्र लिखकर अपना विरोध जताते हुए पद्मश्री पुरस्कार वापस लौटाने की घोषणा की। इसके बाद वह पुरस्कार लौटाने पीएम के आवास पर गए, लेकिन जब पुलिस ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया तो उन्होंने वहीं पीएम आवास के सामने फुटपाथ पर अपना पद्मश्री रख दिया।
एक दिन पहले इन्हीं मुद्दों पर पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से संन्यास लेने का ऐलान किया था। बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के भारतीय कुश्ती महासंघ का अध्यक्ष चुने जाने के विरोध में नम आंखों से साक्षी मलिक द्वारा कुश्ती छोड़ने की घोषणा के एक दिन बाद बजरंग ने पीएम मोदी को पत्र लिखा, जिसमें डब्ल्यूएफआई चुनावों को लेकर अपनी निराशा व्यक्त की। प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में पुनिया ने प्रतिष्ठित पुरस्कार लौटाने के अपने फैसले के पीछे के कारणों को रेखांकित किया है।
बजरंग पुनिया ने लिखा, “सरकार और लोगों ने बहुत सम्मान दिया। क्या मैं इसी इज्जत के बोझ तले घुटता रहूं? वर्ष 2019 में मुझे पद्मश्री से सम्मानित किया गया। खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। जब मुझे यह सम्मान मिला तो मुझे बहुत खुशी हुई। ऐसा लगा कि जीवन सफल हो गया। लेकिन आज मैं उससे भी ज्यादा दुखी हूं और ये सम्मान मुझे दुख पहुंचा रहे हैं।’
बजरंग पुनिया ने पत्र में आगे लिखा, “जिस कुश्ती के लिए हमें यह सम्मान मिलता है, उसका एक ही कारण है कि हमारी साथी महिला पहलवानों को अपनी सुरक्षा के लिए कुश्ती छोड़नी पड़ती है। हम “सम्मानित” पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों का अपमान करने के बाद मैं अपना जीवन “सम्मानजनक” बनकर नहीं जी पाऊंगा। ऐसी जिंदगी मुझे जिंदगी भर सताती रहेगी। इसलिए मैं यह “सम्मान” आपको लौटा रहा हूं।”
गुरुवार को 2016 रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ने संजय सिंह के डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष चुने जाने के बाद कुश्ती छोड़ने की घोषणा की थी। प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले साक्षी ने अपने जूते उतारकर मंच पर रख दिए और रोते हुए कहा, “मैं निराश हूं और अब कुश्ती में प्रतिस्पर्धा नहीं करूंगी।”
साक्षी मलिक ने गुरुवार को दिल्ली में मीडिया से कहा, “अंत में, हम 40 दिनों तक सड़कों पर सोए लेकिन मैं अपने देश के कई लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं जो इस साल की शुरुआत में विरोध प्रदर्शन के दौरान हमारा समर्थन करने आए थे। अगर बृज भूषण सिंह के बिजनेस पार्टनर और करीबी सहयोगी चुने जाते हैं डब्ल्यूएफआई के अध्यक्ष के रूप में, तो मैं कुश्ती छोड़ती हूं।”
वहीं गुरुवार को चुनाव परिणाम घोषित होने के तुरंत बाद बृजभूषण ने अपने ऊपर लगे आरोपों से बेपरवाह होकर इस जीत को देश के पहलवानों की जीत बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि विरोध प्रदर्शन के दौरान 11 महीने तक रुकी कुश्ती गतिविधियां अब नए नेतृत्व में फिर से शुरू होंगी। साथ ही साक्षी मलिक के संन्यास पर बेहद बेपरवाही से बृजभूषण सिंह ने कहा कि इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।