फातिमा बीवी 29 अप्रैल 1992 को सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुईं। इसके बाद 25 जनवरी 1997 को वह तमिलनाडु की राज्यपाल नियुक्त की गईं। हालांकि, उन्होंने 2001 में केंद्र सरकार के राष्ट्रपति से उन्हें वापस बुलाने की सिफारिश करने के बाद पद छोड़ दिया था।
Justice M. Fathima Beevi, first female Judge of Supreme Court of India, passes away at age of 96
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश फातिमा बीवी का गुरुवार को कोल्लम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने 96 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। शीर्ष अदालत की पहली महिला न्यायाधीश होने के अलावा वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की पहली अध्यक्ष और पहली मुस्लिम महिला राज्यपाल (तमिलनाडु) भी थीं।
जस्टिस फातिमा बीवी ने 1950 में एक वकील के रूप में अपना नामांकन कराया और केरल में निचली न्यायपालिका में अपना करियर शुरू किया। बीवी को मई 1958 में केरल सब-ऑर्डिनेट न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें 1968 में सब-ऑर्डिनेट जज के रूप में, फिर 1972 में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में और फिर 1974 में जिला और सत्र न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
फातिमा बीवी को 4 अगस्त, 1983 को उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए जाने से पहले जनवरी 1980 में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण का न्यायिक सदस्य नियुक्त किया गया था। इसके बाद 14 मई, 1984 को बीवी उच्च न्यायालय की स्थायी न्यायाधीश बनीं। वह 29 अप्रैल, 1989 को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुईं।
लेकिन इसके बाद 6 अक्टूबर, 1989 को फातिमा बीवी को न्यायाधीश के रूप में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया, जहां से वह 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुईं। फातिमा बीवी बाद में 25 जनवरी, 1997 को तमिलनाडु की राज्यपाल नियुक्त की गंईं और उन्होंने 2001 में केंद्र सरकार के एक फैसले के बाद राष्ट्रपति से उन्हें वापस बुलाने की सिफारिश करने के बाद पद छोड़ दिया था।