86 साल का शानदार राज ख़त्म आज, इतिहास बनीं 1926 में शुरू हुई मुंबई की बेस्ट की डबल-डेकर बसों का सफर खत्म

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After 86 years, Mumbai’s famed double-decker buses to fade into oblivion

After 86 years, Mumbai’s famed double-decker buses to fade into oblivion
After 86 years, Mumbai’s famed double-decker buses to fade into oblivion

जुलाई 1926 में मुंबई में बेस्ट बस सेवा शुरू होने के 11 साल बाद 1937 में पहली बार डबल-डेकर बसों की शुरुआत की गई थी। दूर से ही दिख जाने वाली इन बसों में लंबी दूरी के यात्री ऊपर की मंजिल पर यात्रा करना पसंद करते थे, जबकि कम दूरी वाले नीचे बैठना पसंद करते थे।

After 86 years, Mumbai’s famed double-decker buses to fade into oblivion

देश की आर्थिक ‘राजधानी’ मुंबई में कई मार्गों पर 86 साल तक राज करने के बाद प्रसिद्ध गैर-वातानुकूलित डबल-डेकर बेस्ट बसें आधिकारिक तौर पर शुक्रवार रात से सेवा से ‘रिटायर’ हो जाएंगी। अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण मुंबई में कुछ मार्गों पर चलने वाली बची हुई पांच ऐसी बसें भी शनिवार से सड़कों पर नहीं दिखेंगी। इसके बाद कुछ ओपन-डेक डबल-डेकर पर्यटक बसों को भी 5 अक्टूबर से बंद कर दिया जाएगा।

हालांकि, बेस्ट ने 2022 में 16 वातानुकूलित, इलेक्ट्रिक डबल-डेकर बसें सड़कों पर उतारी थीं जिनका अनावरण केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने किया था। अगले चरण में 18 और एसी डबल-डेकर बसें बेड़े में शामिल होंगी। इन 18 में से 10 बसों को दक्षिण मुंबई में तैनात किया जाएगा और बाकी उपनगरों में सेवा देंगी। वर्तमान में बेस्ट के बेड़े में 3000 से अधिक सिंगल-डेकर बसें हैं जिनमें रोजाना औसतन 30 लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं। इन्हें मुंबई की विश्वसनीय और हर मौसम में चलने वाली ‘जीवन-रेखा’ माना जाता है।

जुलाई 1926 में मुंबई में बेस्ट बस सेवा शुरू होने के 11 साल बाद 1937 में यहां पहली बार नॉन-एसी डबल-डेकर बसों की शुरुआत की गई थी। किसी समय शहर भर में 240 से अधिक डबल-डेकर बसें चलती थीं। धीरे-धीरे 2010 में उनकी संख्या घटकर 122 और 2019 तक केवल 48 रह गईं। आखिरी पांच बसें भी अब इतिहास बनने जा रही हैं।

दूर से ही दिख जाने वाली डबल डेकर बसों में लंबी दूरी के यात्री ऊपर की मंजिल पर यात्रा करना पसंद करते थे, जबकि कम दूरी की यात्रा करने वाले नीचे के डेक पर ही बैठना पसंद करते थे। किशोर और बच्चे ऊपरी डेक की ओर भागते थे और आगे की दो सीटों के लिए तो हाथापाई तक हो जाती थी क्योंकि वहां से मुंबई के दर्शनीय स्थलों को बेहद करीब से देखा जा सकता था। साथ ही ऊपरी डेक पर हर मौसम में अच्छीब हवा मिलती थी, हालांकि मानसून के समय खिड़की बंद करनी पड़ती थी।

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