19 साल पहले 2004 में जब ‘भारत’ नाम का भाजपा ने किया था विरोध वो अब इंडिया के खिलाफ है
Mulayam Singh govt in 2004 sought to replace India with Bharat, but BJP had staged a walkout
जी20 शिखर सम्मेलन से जुडे़ तमाम कार्यक्रमों में मेहमानों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रेसीडेंट इंडिया की जगह प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखा हुआ निमंत्रणपत्र भेजा। इसके बाद भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने इसका स्वागत करना शुरू कर दिया। देश में यह संदेश गया कि मोदी सरकार देश का नाम सिर्फ भारत चाहती है, वो इंडिया शब्द के खिलाफ है। इसके बाद प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत का पत्र भी सामने आ गया। इस पर विपक्ष ने इस तरह इंडिया बदले जाने का विरोध शुरू कर दिया। विपक्ष ने कहा कि चूंकि उनके गठबंधन का नाम इंडिया है। इसलिए भाजपा और केंद्र सरकार डर गई है। लेकिन भाजपा और केंद्र सरकार अपनी इस पहल को सही करार देती रही। लेकिन यही भाजपा है, जिसने 2004 में यूपी विधानसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के उस प्रस्ताव का विरोध किया, जिसमें इंडिया का नाम बदलकर भारत करने की बात थी। भाजपा ने प्रस्ताव रखते ही यूपी विधानसभा से वॉकआउट कर दिया।
मिन्ट की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2004 में, मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया कि संविधान में संशोधन करके ‘इंडिया, दैट इज़ भारत’ की बजाय ‘भारत, दैट इज़ इंडिया’ लिखा जाना चाहिए। तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने फिर यह प्रस्ताव राज्य विधान सभा में रखा, भाजपा को छोड़कर सभी ने इसे स्वीकार कर लिया। भाजपा ने प्रस्ताव पारित होने से पहले ही वॉकआउट कर दिया था।
प्रेसीडेंट ऑफ भारत और प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत के कागजात, निमंत्रणपत्र सामने आने के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि विधानसभा के विशेष सत्र में इंडिया को खत्म करके सिर्फ भारत नाम करा प्रस्ताव लाया जा सकता है। विपक्ष को आशंका है कि 18 सितंबर से 22 सितंबर के बीच चलने वाले सत्र में मोदी सरकार देश का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित कर सकती है। विपक्ष का आरोप है कि चूंकि विपक्षी गठबंधन ने अपना नाम इंडिया रख लिया है तो इससे केंद्र सरकार को चिढ़ हो रही है, इसलिए वो इंडिया शब्द हटाना चाहती है।
इसके बाद 3 अगस्त, 2004 को मुलायम सिंह यादव विधानसभा में एक प्रस्ताव लेकर आए. इसमें कहा गया कि संविधान में संशोधन कर “इंडिया, दैट इज भारत” के बदले “भारत, दैट इज इंडिया” किया जाना चाहिए. सदन में ये प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हो गया. हालांकि ध्यान देने वाली बात यहां ये है कि इससे पहले बीजेपी के विधायक सदन से वॉक आउट कर चुके थे.
कुछ जगहों पर ये खबर लिखी है कि भाजपा ने इसी ‘भारत’ वाले प्रस्ताव पर वॉक आउट कर दिया था. हालांकि ‘आज’ अखबार की पुरानी रिपोर्ट से पता चलता है कि भाजपा ने हरिद्वार को उत्तर प्रदेश में शामिल कराए जाने के मुद्दे पर वॉक आउट किया था. उसी दिन ये प्रस्ताव भी लाया गया था.
संविधान का अनुच्छेद-1 कहता है, ‘इंडिया, दैट इज भारत, जो राज्यों का संघ होगा.’ इसका मतलब है कि अनुच्छेद-1 ‘इंडिया’ और ‘भारत’, दोनों को मान्यता देता है.
इस मसले पर मुलायम सिंह यादव का स्टैंड समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित था. लोहिया देश में अंग्रेजी थोपे जाने का विरोध किया करते थे. हालांकि उन्होंने इसके बदले हिंदी लाने की बात नहीं की थी. बल्कि लोहिया ने अंग्रेजी के बदले हिंदुस्तानी ज़बानों की वकालत की थी. उनका मानना था कि आबादी का एक छोटा हिस्सा जिसे अंग्रेजी में महारत हासिल है, वो उसे सत्ता या स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करता है. लोहिया के मुताबिक, दुनिया के हर देश में सभी सरकारी या सार्वजनिक काम उसी भाषा में होते हैं, जिसे बहुसंख्यक लोग समझते और जानते हैं लेकिन हमारे देश में ठीक इसका उल्टा है.