कर्नाटक में मतदान से एक दिन पहले पीएम ने वीडियो जारी कर मतदाताओं से बीजेपी को वोट देने की अपील की। क्या यह आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघन नहीं है? और क्या चुनाव आयोग इस पर कोई कार्यवाही करेगा?
Congress seeks EC action against Modi for his appeals to Karnataka voters during ‘silence period’
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार को (कल) मतदान होने वाला है, प्रचार एक दिन पहले यानी सोमवार को खत्म हो चुका है। लेकिन इस चुनाव में बहुत कुछ ऐसा हुआ है या हो रहा है जिसे सीधे-सीधे चुनाव आयोग की आदर्श चुनाव संहिता का उल्लंघ माना जा सकता है। प्रचार को दौरान कर्नाटक में जगह-जगह आचार संहिता का उल्लंघन हुआ, करोड़ो रुपए की नकदी, शराब और ड्रग्स बरामद किए गए। वोटरों को लुभाने के लिए तोहफे देने के मामले भी सामने आए।
लेकिन इस सबसे बढ़कर तो यह रहा कि प्रचार खत्म होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाकायदा वीडियो और पत्र जारी कर कर्नाटक के मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की। उन्होंने अपने वीडियो और पत्र में मतदाताओं से डबल इंजन सरकार बनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि बीजेपी को वोट देकर कर्नाटक वासी अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं और राज्य को भविष्यगामी विकास और आर्थिक तौर पर मजबूत कर सकते हैं।
यह वीडियो मंगलवार सुबह यानी मतदान से एक दिन पहले जारी किया गया। इसमें उन्होंने कहा, “हर कन्नड़ वासी का सपना मेरा अपना सपना है, आपका संकल्प में मेरा संकल्प है….”
ध्यान रहे कि प्रचार के आखिरी दिनों में प्रधानमंत्री गेंदे को फूलों को कर्नाटक की सड़कों पर मंडराते दिखे। कभी वे इन फूलों को लोगों की तरफ फेंकते और कभी लोग उनकी तरफ इन फूलों को फेंकते नजर आए। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में बिजली-सड़क-पानी-रोजगार-महंगाई जैसे कर्नाटक के मुद्दों को बजाए धार्मिक आधार पर वोट देने की अपील की। एक भाषण में तो उन्होंने साफ कहा कि, “अपना वोट देते समय जय बजरंग बली का नारा लगाना मत भूलना….”
बीजेपी नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने इस भाषण को प्रसारित-प्रचारित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस वीडियों को सर्कुलेट किया गया। लेकिन जैसाकि राजस्थान के मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्म के आधार पर वोट मांगना चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है और प्रधानमंत्री पर तो प्रचार करने पर भी पाबंदी लग जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस में अशोक गहलोत ने कहा कि, “प्रधानमंत्री धर्म के नाम पर वोट मांग रहे हैं, यह आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। उनके प्रचार करने पर पाबंदी लगनी चाहिए।”
इस बीच चुनाव आयोग ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि कर्नाटक में इस चुनावी मौसम में करीब 375 करोड़ रुपए की शराब, ड्रग्स और अय चीजें बरामद की गईं। पिछले चुनाव के मुकाबले यह बरामदगी करीब चार गुना है।
आइए आपको बताते हैं कि आदर्शन चुनाव संहिता क्या कहती है:
- कोई भी उम्मीदवार या पार्टी किसी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे आपसी नफरत का माहौल बने या विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच धार्मिक या भाषाई आधार पर तनाव पैदा हो।
- वोट हासिल करने के लिए किसी जातीय या धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। मंदिर, मस्जिद, चर्च या पूजा और इबादत की अन्य जगहों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता।
- सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स द्वारा स्वैच्छिक नैतिकता मूल्यों का पालन किया जाएगा
- मुख्य चुनाव आयुक्त ने फेसबुक, ट्विटर, गूगल, व्हाट्सऐप, शेयरचैट आदि सोशल मीडिया प्लेटपार्म्स से सिर्फ ऐसे विज्ञापन ही स्वीकार करने का अनुरोध किया जिन्हें चुनाव आयोग से प्रमाणीकरण मिल चुका हो और प्रचार खत्म होने और मतदान के बीच के 48 घंटों के दौरान इस किस्म का कोई विज्ञापन नहीं प्रसारित या प्रकाशित किया जाए। आदर्श आचार संहिता के ये सभी तीनों प्रावधान उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जाने वाले संदेशों पर भी लागू होंगे।
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