जोशीमठ के बाद नैनीताल में फिर दरारें, साल भर में तीसरा पर्यटक स्थल हुआ बंद

Uttarakhand, Cracks in Nainital after Joshimath, third tourist spot closed in a year

Uttarakhand, Cracks in Nainital after Joshimath, third tourist spot closed in a year
Uttarakhand, Cracks in Nainital after Joshimath, third tourist spot closed in a year

नैनीताल में व्यू प्वाइंट के आसपास दरारें आ रही हैं। जांच में पता चला है कि उत्तरी और दक्षिणी छोर पर पड़ी दरारें कार्बोनेट चट्टानों के खिसकने की वजह से पैदा हुई हैं। सर्वे टीम ने इसका आकलन किया है।

When will the series of cracks stop in Uttarakhand? Cracks in Nainital after Joshimath, third tourist spot closed in a year

उत्तराखंड के शहरों में दरारें पड़ने का सिलसिला जारी है। जोशीमठ के बाद अब नैनीताल जिले में दरारें पड़ गईं हैं, जिससे यहां के लोग दहशत में हैं। दरारें पड़ने से यहां के लोगों के सामने कई तरह की मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। नैनीताल के टिफिन टॉप में दरारें पड़ने के बाद जिला प्रशासन की टीम ने यहां का दौरा किया। दरारों को देखते हुए सैलानियों समेत स्थानीय लोगों के लिए टिफिन टॉप पर आवाजाही बंद कर दी गई है। व्यू प्वाइंट पर भूस्खलन के खतरे की वजह से डीएम ने यह फैसला लिया है। इससे पहले भूस्खलन के खतरे को देखते हुए बैंड स्टैंड भी सैलानियों के लिए बंद कर दिया गया था।

यह भी पढ़ें… उत्तराखंड: जोशीमठ ही नहीं थराली के पैनगढ़ गांव में भी हो रहा भू-धंसाव – घर छोड़ कैंप में रहने को मजबूर लोगLike Joshimath, Panagarh village of Tharali is also a victim of landslide, leaving their homes and living the life of refugees for months

यह भी पढ़ें… जोशीमठ से सीख लेना दूर SC ने ऐसे 118 प्रोजेक्ट को दी मंजूरी जिन से जंगल, पहाड़, जलस्रोत हो जाएंगे नष्ट!Instead of taking lessons from Joshimath, the Green Bench of the Supreme Court has given approval to 118 such projects which will shake the mountains and forests.

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प्रशासन के दौरे के बाद यह बात सामने आई है कि व्यू प्वाइंट के आसपास दरारें आ रही हैं। जांच में पता चला है कि उत्तरी और दक्षिणी छोर पर पड़ी दरारें कार्बोनेट चट्टानों के खिसकने की वजह से पैदा हुई हैं। सर्वे टीम ने इसका आकलन किया है। इसके बाद सुझाव दिया कि जब तक स्थाई रूप से भू-तकनीकी सर्वेक्षण नहीं हो जाता तब तक यहां आवाजाही को बंद रखा जाना चाहिए।

गौर करने वाली बात यह है कि टिफिन टॉप की पहाड़ी पर तीन साल से लगातार भूस्खलन हो रहा है। इससे पहले गठित सर्वे टीम ने यहां भूमिगत दरारें बढ़ने की पुष्टि की थी। इस टीम ने पहाड़ी से पीछे हो रहे भूस्खलन को खतरनाक बताया था। परेशान करने वाली बात यह भी है कि दो सालों से इस रिपोर्ट के आधार पर कोई ट्रीटमेंट प्लान नहीं बन पाया है।

नैनीताल में भूस्खलन के खतरे की वजह से एक साल के भीतर तीसरा पर्यटक स्थल बंद करना पड़ा है। इससे पहले मल्लीताल के बैंड स्टैंड और ठंडी सड़क पर लोगों की आवाजाही पर रोक लगाई गई थी। टिफिन टॉप के बंद होने से एक हजार से ज्यादा लोगों का रोजगार सीधे तौर पर प्रभावित होगा।

टिफिन टॉप पर हर साल हजारों सैलानी आते हैं। यहां की ऊंचाई से नैनीताल और हिमालयी क्षेत्र का दर्शन करना चाहते हैं। टिफिन टॉप पर आवाजाही बंद होने से जहां एक तरफ सैलानी इसे देखने से महरूम हो जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ इससे जुड़े 1 हजार से ज्यादा कारोबारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।

टिफिन टॉप तक जाने के लिए पर्यटक घोड़े का प्रयोग करते हैं। 100 से ज्यादा पंजीकृत घोड़ा संचालक यहां काम करते हैं। इसके अलावा अपंजीकृत लोगों की रोजी भी यहां आने वाले सैलानियों से चलती है। छोटे दुकानदारों और टैक्सी संचालकों के लिए भी टिफिन टॉप रोजगार का जरिया है। ऐसे में यह सभी लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

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