सीडर-सिनाई मेडिकल सेंटर में स्मिड हार्ट इंस्टीट्यूट के जांचकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि महामारी के दौरान कार्डियक अरेस्ट से बचने की दर 15.3 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो गई।
COVID connection of ‘Heart Attack’, Shocking revelation in American research
भारतीय मूल के एक शोधकर्ता सहित अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पाया है कि कैलिफोर्निया में वेंचुरा काउंटी के निवासियों में महामारी के पहले दो वर्षों के दौरान कार्डियक अरेस्ट की घटनाओं में 38 प्रतिशत की वृद्धि हो गई। शोधकर्ता ने कहा कि सबसे अधिक प्रभावित हिस्पैनिक निवासी हैं। इन्हें दिल की कार्यक्षमता में 77 प्रतिशत की कमी का सामना करना पड़ा।
सीडर-सिनाई मेडिकल सेंटर में स्मिड हार्ट इंस्टीट्यूट के जांचकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि महामारी के दौरान कार्डियक अरेस्ट से बचने की दर 15.3 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो गई। अध्ययन में शामिल स्मिड्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डिएक अरेस्ट प्रिवेंशन सेंटर के निदेशक सुमीत चुग ने कहा, अध्ययन के निष्कर्षों ने कोविड -19 महामारी की चुनौतियों का खुलासा किया है।
यह महामारी के पूरे दो वर्षो के डेटा को शामिल करने वाला और कार्डियक अरेस्ट दरों में अंतर का मूल्यांकन करने वाला पहला अध्ययन है। स्मिड्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियोलॉजी विभाग में रिसर्च एसोसिएट प्रोफेसर किंडारोन रेइनियर ने बताया,हम मानते हैं कि अचानक कार्डियक अरेस्ट के कुछ बढ़ते मामले कोविड-19 संक्रमण का प्रत्यक्ष परिणाम हो सकते हैं, हमें यह भी संदेह है कि महामारी के अप्रत्यक्ष प्रभावों ने घटनाओं में वृद्धि और जीवित रहने की गिरावट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सभी निवासियों, विशेष रूप से हिस्पैनिक निवासियों के बीच सीपीआर में गिरावट आई, जैसा कि पीयर-रिव्यूड मेडिकल जर्नल हार्ट रिदम में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है। रेनियर ने कहा, यह अध्ययन निवारक और आकस्मिक देखभाल की आवश्यकता होने पर महत्व पर जोर देता है।
कोरोना महामारी के आने के बाद भारत में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। अक्सर यह देखा गया कि कई नौजवानों की हार्ट अटैक से मौत हो गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 50 साल से कम उम्र के करीब 75 फीसदी आबादी को दिल का दौरा पड़ने का खतरा है, ऐसे में दिल की जटिलताएं एक बड़ी बीमारी है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। देशभर में चिकित्सा पेशेवरों द्वारा किए गए अध्ययनों से संकेत मिलता है कि 40 वर्ष से कम आयु के कम से कम 25 प्रतिशत भारतीयों को दिल का दौरा पड़ने या दिल से संबंधित किसी अन्य गंभीर जटिलता से पीड़ित होने का खतरा है; और यह जोखिम 40 से 50 वर्ष की आयु के बीच 50 प्रतिशत आबादी तक बढ़ सकता है।